Join WhatsApp GroupJoin Now
Join Telegram GroupJoin Now

राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग | National Movement (1919–1947)

राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग: भारतीय इतिहास की इस पोस्ट में 1919 ई. से 1947 ई. तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलनों से संबंधित नोट्स एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो सभी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है, National Movement (1919–1947) Gandhiyuga, rashtriy aandolan (1919-1947) gandhiyug, gandhiyug notes in hindi pdf

यह भी पढ़ें>> भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन 1885 से 1919

राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग

◆ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी के भारत आगमन के पश्चात हुई। गांधीजी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत आये।
◆ प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों की सहायता की तथा भारतीयों को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया इसी कारण इन्हें भर्ती करने वाला सार्जेंट कहा जाता है।
◆ 1917 ईस्वी में इन्होंने चंपारण किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व किया जो नील का तिनकठिया (3/20) पद्धति के विरुद्ध प्रारंभ हुआ था।
◆ राजकुमार शुक्ल के कहने पर गांधीजी ने नेतृत्व स्वीकार किया था तथा इसके सफल नेतृत्व पर रविंद्र नाथ टैगोर ने इन्हें महात्मा कहा।
◆ 1918 में गांधी जी के द्वारा खेड़ा सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया गया। खेड़ा आंदोलन पाटीदार किसानों द्वारा लगान में वृद्धि के विरुद्ध किया गया था। यही महात्मा गांधी का प्रथम सत्याग्रह कहलाता है।
◆ 1918 में ही अहमदाबाद मिल मजदूर हड़ताल का गांधीजी द्वारा सफल नेतृत्व किया गया। इन मजदूरों द्वारा प्लेग बोनस की मांग को लेकर हड़ताल प्रारंभ की गई। सरकार ने 23% बोनस स्वीकार किया परंतु गांधीजी के प्रयासों से 35% बोनस की स्वीकृति प्राप्त हुई। इस दौरान ही गांधी जी ने सर्वप्रथम अनशन का प्रयोग किया था।

रोलेट एक्ट – 1919

◆ भारतीय क्रांतिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए सर सिडनी रोलेट (ब्रिटेन उच्च न्यायालय का न्यायाधीश) की अध्यक्षता में 1917 में एक समिति की स्थापना की गई।
◆ इसी समिति ने 1919 में यह एक्ट पारित किया था जिसके तहत किसी भी क्रांतिकारी को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। इसे भारतीय इतिहास का काला कानून, बिना वकील दलील का कानून भी कहा जाता है।
◆ 6 अप्रैल 1919 को संपूर्ण भारत में इसका विरोध प्रारंभ हुआ। गांधीजी ने विरोध प्रदर्शन हेतु सत्याग्रह समिति की स्थापना की। एनी बेसेंट ने इसका विरोध किया व गांधीजी को राजनीति का बच्चा कहा।
◆ पंजाब और दिल्ली में इसका सर्वाधिक विरोध हुआ, जहां गांधीजी के प्रवेश पर रोक लगी। 9 अप्रैल को दिल्ली प्रवेश के प्रयास के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर यवरदा जेल भेज दिया गया। (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ पंजाब में 9 अप्रैल को रैली निकली, जिसमें कांग्रेस के नेता सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड – 10 अप्रैल 1919

◆ इन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में पंजाब में प्रदर्शन प्रारंभ हुए।
◆ यहां के गवर्नर माइकल ओ डायर ने पंजाब में धारा 144 लगा दी। यहां के किसानों द्वारा 13 अप्रैल के दिन जलियांवाला बाग में सभा रखी, जहां पुलिस अधिकारी जनरल ओ डायर ने सभा में अंधाधुंध गोलियां चला दी, जिससे सैकड़ों व्यक्ति मारे गए।
◆ रविंद्र नाथ टैगोर ने इसके विरोध में नाइट हुड की उपाधि लौटा दी तथा शंकर नायर गवर्नर की कार्यकारी परिषद से त्यागपत्र दे दिया।
◆ इसकी जांच हेतु हंटर कमेटी की स्थापना की जिसने जनरल ओ डायर को निर्दोष बताया।
◆ कांग्रेस ने मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में तहकीकात समिति की स्थापना की।
◆ जनरल डायर को सरकार द्वारा निष्कासित किया गया तथा ब्रिटेन पहुंचने पर इन्हें 2600 पौंड का पुरस्कार एवं शेर-ए-ब्रिटेन की उपाधि दी गई।

यह भी पढ़ें>> भारत के प्रमुख क्रांतिकारी नोट्स पीडीएफ़

भारत शासन अधिनियम – 1919

◆ यह एक भारत सचिव लार्ड मांटेग्यू की घोषणा (1917) के आधार पर आया, जिसमें पहली बार भारत में उत्तरदायी शासन स्थापित करने की घोषणा हुई थी। इसे मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है।
◆ यह एक्ट 1 अप्रैल 1921 को लागू हुआ।
◆ इस एक्ट के तहत सर्वप्रथम प्रांतों में द्वैध शासन लागू किया गया। (8 प्रांतों में लागू, पश्चिमोत्तर प्रांत – 1932)
◆ द्वैध शासन का जनक लियोनिस कार्टिस को माना जाता है।
◆ इस एक्ट द्वारा शक्तियों का विभाजन किया गया तथा दो प्रकार के विषय बने।
(i) स्थानांतरित विषय – स्थानीय शासन
(ii) आरक्षित विषय – अन्य सभी गवर्नर जनरल के प्रति उत्तरदायी
◆ अवशिष्ट विषय पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया।
◆ मताधिकार में वृद्धि करते हुए 3% से 10% किया गया (आर्थिक आधार पर)
◆ गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी की सदस्य संख्या 3 व भारत परिषद के सदस्यों की संख्या 12 की गई।
◆ इस एक्ट के तहत भारत सचिव का वेतन ब्रिटेन के कोष से दिए जाने का प्रावधान किया गया।
◆ इस एक्ट के द्वारा 1921 ईस्वी में नरेंद्र मंडल की स्थापना की गई, जिसमें 121 रियासतें शामिल हुई। (मैसूर, हैदराबाद नहीं हुई)
◆ इसके प्रथम चांसलर बीकानेर महाराजा गंगासिंह थे।
◆ इस एक्ट के तहत निर्वाचन क्षेत्र में विस्तार हुआ। (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ सिक्ख, आंग्ल भारतीय, यूरोपियन ईसाइयों को पृथक निर्वाचन प्रदान किया गया।
◆ बाल गंगाधर तिलक ने इसे (1919 का एक्ट) बिना सूरज का सवेरा कहा था।
◆ सुभाष चंद्र बोस ने इस एक्ट को बेडियो का नया जाल कहा था।

खिलाफत आंदोलन

◆ अंग्रेजों द्वारा तुर्की के विभाजन व खलीफा के पद की समाप्ति की घोषणा की गई, जिसके विरोध में यह आंदोलन हुआ।
◆ सितंबर 1919 में अली बंधु (मोहम्मद अली व शौकत अली) व मौलाना कलाम आजाद द्वारा खिलाफत कमेटी की स्थापना की गई।
◆ 17 अक्टूबर 1919 को कमेटी द्वारा खिलाफत दिवस मनाया गया। महात्मा गांधी ने इसे आने वाले 100 वर्षों में हिंदू मुस्लिम एकता का सुनहरा।
◆ 24 नवंबर 1919 को दिल्ली में हुई खिलाफत सभा की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की।
◆ तुर्की में कमालपाशा की सरकार का गठन हुआ व तुर्की का विभाजन हुआ, जिसके पश्चात यह आंदोलन उद्देश्य विहीन हो गया।

असहयोग आन्दोलन (1920 – 1922)

◆ गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन की ही पृष्ठभूमि पर असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया। जून 1920 ई. को खिलाफत कमेटी के समय आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया, जिसे स्वीकार करने के पश्चात 1 अगस्त 1920 को आंदोलन प्रारंभ हुआ। इसी दिन बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हुई। सितंबर 1920 को कोलकाता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ, जिसमें लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में आंदोलन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया।
◆ असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव के लेखक स्वयं महात्मा गांधी थे।
◆ दिसंबर 1920 को कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में चक्रवर्ती विजय राघवाचार्य की अध्यक्षता में पुनः आंदोलन को समर्थन प्रदान किया गया, जिसके पश्चात 1 जनवरी 1921 को यह संयोजित रूप से प्रारंभ हुआ। आंदोलन के संचालन हेतु गांधीजी ने वर्किंग कमेटी की स्थापना की, जिसके द्वारा नकारात्मक व रचनात्मक कार्यों का निर्धारण किया गया।
◆ इसी आंदोलन के दौरान गांधीजी ने अपनी ‘केसर-ए -हिंद’ की उपाधि लौटा दी।
◆ गांधीजी द्वारा मार्च 1921 को विजयवाड़ा की सभा के पश्चात लंगोट पहनना प्रारंभ किया।
◆ 17 नवंबर 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन पर हड़ताल से व काले झंडे दिखाकर स्वागत किया गया।
◆ यह आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था परंतु इसी दौरान 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर (यूपी) के पुलिस थाने में प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगा दी गई जिससे 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गये। इस हिंसक घटना के पश्चात 12 फरवरी 1922 को बारदोली की सभा में आंदोलन वापस ले लिया गया, जिसकी सर्वत्र निंदा हुई। (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ सुभाष चंद्र बोस – “जब आंदोलन चरम सीमा पर था उस समय इसे वापस लेना किसी राष्ट्रीय विपदा से कम नहीं था।” प्रत्युत्तर में गांधी जी ने यंग इंडिया में प्रकाशित करवाया – “आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं सभी यातनायें, सभी यंत्रणाएं यहां तक कि मौत भी सहने को तैयार हूं।”
◆ 10 मार्च 1922 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा न्यायाधीश ब्रूमफील्ड ने इसे 6 वर्ष की सजा सुनाई, परंतु तबीयत खराब हो जाने पर फरवरी 1924 में रिहा कर दिया गया।

यह भी पढ़ें>> धार्मिक एवं सामाजिक पुनर्जागरण

 स्वराज पार्टी (1923 ई.)

◆ राष्ट्रवादी असहयोग आंदोलन को विधानमंडलों तक पहुंचाना चाहते थे। तथा इसे समाप्त न कर जारी रखना चाहते थे, जिसका गांधीवादियो ने विरोध किया।
◆ इसी कारण सी. आर. दास द्वारा जनवरी 1923 में स्वराज पार्टी की स्थापना की गई। इसके अध्यक्ष सी.आर. दास व सचिव मोतीलाल नेहरू बने। अप्रैल 1923 को दिल्ली में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता मौलाना आजाद द्वारा की गई तथा स्वराज पार्टी को कांग्रेस के अंतर्गत मान्यता प्रदान की गई।
◆ विधानमंडलों के चुनाव में 101 में से 42 सीट प्राप्त की। तथा इस पार्टी के दबाव में ही सरकार ने 1919 के एक्ट की समीक्षा हेतु अलेग्जेंडर मुड्डीमेन को नियुक्त किया।
◆ कपास के उत्पादन कर को समाप्त किया व नमक कर को भी कम किया गया जो पार्टी की बड़ी उपलब्धियां है।
◆ 6 नवंबर 1924 को महात्मा गांधी ने सी.आर. दास से समझौता कर स्वराज पार्टी को स्वतंत्र निकाय के रूप में मान्यता प्रदान की जो “गांधी-दास समझौते” के नाम से जाना जाता है।(राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ जून 1925 में सी.आर. दास की मृत्यु हुई, जिसके पश्चात पार्टी प्रत्युत्तरवादी व अप्रत्युत्तरवादी में विभाजित होकर समाप्त हो गई।
◆ रिहाई के पश्चात गांधीजी ने मोहम्मद अली के घर 21 दिन उपवास कर आंदोलन में हुई हिंसक घटना का पश्चाताप किया।
◆ दिसंबर 1924 में गांधीजी की अध्यक्षता में कांग्रेस का बेलगांव (कर्नाटक) अधिवेशन हुआ जिसमें गांधी-दास समझौते की पुष्टि की गई।

साइमन कमीशन (1927)

◆ 1919 के एक्ट की समीक्षा करने हेतु ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोल्डविन द्वारा (कंजरवेटिव पार्टी) सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक सात सदस्य दल का गठन किया गया जिसमें सभी अंग्रेज सदस्य शामिल थे। इस कारण इसका संपूर्ण भारत में विरोध हुआ। 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत आया, जिसका काले झंडे दिखाकर व साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे के साथ विरोध हुआ।
◆ लाहौर में इसके विरोध में लाला लाजपत राय द्वारा रैली निकाली गई जिसमें पुलिस द्वारा लाठियां बरसाने से लालाजी घायल हो गए तथा 17 नवंबर 1928 को इनकी मृत्यु हो गई। जिसका बदला H.S.R.A. के सदस्यों द्वारा सांडर्स की हत्या कर लिया गया।

क्रांतिकारी गतिविधियों का दूसरा चरण

◆ क्रांतिकारी गतिविधियों का दूसरा चरण गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन वापिस लेने के पश्चात प्रारम्भ होता है।
◆ अप्रैल 1925 ई. को चन्द्रशेखर आजद, सचिन्द्र सान्याल व इनके सहयोगियों ने कानपुर में H.R.A. की स्थापना की।
◆ 9 अगस्त 1925 को H.R.A. के सदस्यों द्वारा काकोरी ट्रेन को लूटा गया। जिसमें 29 क्रांतिकारी गिरफ्तार हुए। 1926 में भगतसिंह व इनके सहयोगियों ने “नौजवान भारत सभा” की स्थापना की। 1928 में चन्द्रशेखर आजाद द्वारा H.S.R.A. की स्थापना की गई। इसके सदस्यों ने 17 दिसम्बर 1928 को साण्डर्स की हत्या की जो “लाहौर षडयंत्र केस” के नाम से जाना जाता है।
◆ 8 अप्रैल 1928 को भगतसिंह व बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंका। प्रमुख क्रांतिकारियों के साथ जेल में हुए अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध हड़ताल की गई। जिसमें 64 दिन की लम्बी भूख हड़ताल के कारण 13 सितम्बर 1928 को जतिनदास की मृत्यु हई।
◆ 27 फरवरी 1931 को चन्द्रशेखर आजाद की मृत्यु हुई।
◆ 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी दे दी गयी।

नेहरू रिपोर्ट – 1928

◆ भारत सचिव बर्किंग हैड ने भारतीयों पर व्यंग किया कि “कोई भी भारतीय संविधान बनाने में सक्षम नहीं है।” इसी चुनौती को स्वीकार करते हुए मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय समिति की स्थापना की गई, जिसके द्वारा बनाए गए संवैधानिक प्रारूप को ही ‘नेहरू रिपोर्ट’ कहा गया। (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसे भारतीय संविधान का नील पत्र (Blue Print) कहा था।
◆ सर्वप्रथम मूल अधिकारों का उल्लेख इसी में किया गया था।
◆ सर्वप्रथम मूल अधिकारों की मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी।
◆ दिसंबर 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का कोलकाता अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया तथा कांग्रेस ने औपनिवेशिक स्वराज का प्रस्ताव पारित किया। जवाहरलाल नेहरू व सुभाष चंद्र बोस पूर्ण स्वराज के पक्ष में थे तथा उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना की।
◆ महात्मा गांधी द्वारा घोषणा की गई कि यदि 1 वर्ष में औपनिवेशिक स्वराज प्राप्त ना हुआ तो पूर्ण स्वराज की मांग रखी जाएगी।
◆ दिसंबर 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर अधिवेशन हुआ जिसमें पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया इसी के आधार पर 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वतंत्रता या स्वायत्तता या स्वराज दिवस मनाया गया।
◆ गांधीजी ने सरकार को एक मौका और देते हुए “यंग इंडिया” समाचार पत्र के माध्यम से 11 सूत्री मांग पत्र प्रकाशित किया।
◆ सरकार द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं करने पर गांधी जी ने कहा कि – “मैंने रोटी मांगी थी बदले में मुझे पत्थर मिले, अब इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई।”

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930 – 1934)

◆ महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के माध्यम से आंदोलन प्रारंभ किया। 12 मार्च 1930 ईस्वी को साबरमती से यात्रा प्रारंभ कर 5 अप्रैल 1930 को 240 मील (385 km) लंबी यात्रा 24 दिन में 5 अप्रैल 1930 में दांडी पहुंचकर पूर्ण की गई। इस यात्रा में गांधीजी के 78 अनुयायियों ने भाग लिया था।
◆ 6 अप्रैल को नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा गया वह इसी दिन आंदोलन शुरू हुआ।
◆ पश्चिमोत्तर प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खान / बादशाह खान / सीमांत गांधी ने आंदोलन का नेतृत्व किया। इनके द्वारा खुदाई खिदमतगार संघ (लाल कुर्ती संघ) की स्थापना की गई।
◆ बादशाह खान गांधीजी को मलंग बाबा के नाम से संबोधित करते थे।
◆ पूर्वी क्षेत्र में 13 वर्षीय नागा बालिका गाडिनल्यू ने आंदोलन का नेतृत्व किया जिसे जॉन ऑफ आर्क भी कहा जाता है। जवाहरलाल नेहरू ने इसे रानी की उपाधि दी है।
◆ मई 1930 ईस्वी में मणिलाल, इमाम साहब, सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में दो हजार प्रदर्शनकारियों ने घरसाणा के नमक कारखाने पर अधिकार करने का प्रयास किया, जिसमें पुलिस द्वारा निर्मम रूप से लाठियां बरसाई गई। जिसका उल्लेख अमेरिकी समाचार पत्र न्यू फ्रीमैन के संपादक मिलर ने किया है।
◆ पेशावर, चिटगांव व सोलापुर में आंदोलन के दौरान हिंसक घटनाएं हुई। पेशावर में चंद्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से मना कर दिया। सरकार ने हवाई हमले कर पेशावर पर नियंत्रण स्थापित किया।
◆ आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के पश्चात अब्बास तैयबजी ने आंदोलन का नेतृत्व किया गया। अंग्रेजों द्वारा आंदोलन की समाप्ति हेतु प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया।

प्रथम गोलमेज सम्मेलन (12 नवंबर 1930 से 30 जनवरी 1931)

◆ तीनों गोलमेज सम्मेलनों का स्थल – सेंट जेम्स पैलेस (लंदन)
◆ उद्घाटन – जॉर्ज पंचम (सम्राट)
◆ अध्यक्षता – मैकडोनाल्ड (प्रधानमंत्री)
◆ इस अधिवेशन में भारत के 76 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें तेज बहादुर सप्रू, जयकर, अलवर शासक जयसिंह, आगा खां, मोहम्मद अली जिन्ना आदि प्रमुख थे।
◆ इसी अधिवेशन के आधार पर 26 जनवरी 1931 को महात्मा गांधी को रिहा किया गया। तेज बहादुर सप्रू, जयनारायण के समझाने पर गांधीजी समझौते के लिए तैयार हुए। 5 मार्च 1931 को गांधी इरविन / दिल्ली समझौता हुआ, जिसके तहत कुछ मांगे मान ली गई। जैसे – (i) नमक कानून पर सरकार का एकाधिकार समाप्त करना। (ii) राजनीतिक बंदियों की रिहाई। (iii) जब्त संपत्ति वापस लौटाना। (iv) करों में छूट। परंतु राजगुरु भगत सिंह सुखदेव के फांसी के संबंध में हमेशा इस समझौते की आलोचना हुई।
◆ 26 मार्च से 29 मार्च 1931 में कांग्रेस का कराची अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता सरदार पटेल ने कि। इसी में गांधी इरविन समझौता की पुष्टि की गई। इसी दौरान गांधी जी ने कहा था कि “गांधी मर सकता है पर गांधीवाद नहीं” (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ 1931 का अधिवेशन पहली बार मार्च में आयोजित किया गया इससे पहले दिसंबर में आयोजित होता था।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (7 सितम्बर 1931 से 1 दिसम्बर 1931 तक)

◆ इसमें सरोजिनी नायडू एवं मदन मोहन मालवीय ने गवर्नर जनरल की तरफ से भाग लिया तथा महात्मा गांधी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
◆ जिन्ना द्वारा इसमें भाग नहीं लिया गया।
◆ गांधी जी राजपूताना नामक जहाज से ब्रिटेन गये। अधिवेशन के दौरान चर्चिल ने गांधीजी को देशद्रोही फकीर कहा तथा ब्रिटिश नागरिक फ्रेंक मौरिस ने अर्धनँगा फकीर कहा।
◆ अंबेडकर द्वारा दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचन की मांग रखी गई, जिसका गांधी जी ने विरोध किया था, अतः यह सम्मेलन निर्धारित समय से पूर्व ही समाप्त हो गया।
◆ 1 जनवरी 1932 ईस्वी को गांधी जी द्वारा पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया गया। सरकार ने गांधी इरविन समझौता को रद्द कर दिया तथा आपातकाल लागू कर कई अध्यादेशों के तहत शासन शुरू किया।

मैकडोनाल्ड का सांप्रदायिक पंचाट (1932 ई.)

◆ ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को अपना सांप्रदायिक पंचाट प्रस्तुत किया। जिसे अगस्त घोषणा पत्र भी कहा जाता है। इसमें अन्य जातियों के साथ दलित वर्ग को भी पृथक निर्वाचन क्षेत्र प्रदान किया गया जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया।
◆ गांधीजी को 20 सितंबर 1932 ईस्वी को गिरफ्तार कर लिया गया।
◆ यहां महात्मा गांधी द्वारा आमरण अनशन की घोषणा कर दी गई।
◆ अंततः जवाहरलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, तेज बहादुर सप्रू, जयप्रकाश नारायण के प्रयासों से 26 सितंबर 1932 ईस्वी को अंबेडकर और गांधी के मध्य समझौता हुआ। पृथक निर्वाचन समाप्त हुआ, इसे पूना पैक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
◆ इस समझौते के पश्चात गांधीजी ने दलितों को केंद्र में 9% के स्थान पर 18% आरक्षण व विधान मंडलों में 71 के स्थान पर 148 सीटें निश्चित की।
◆ गांधी जी द्वारा 1932 में ही हरिजन सेवा संघ (अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ) की स्थापना की तथा हरिजन नामक समाचार पत्र प्रारंभ किया।
◆ अस्पृश्यता निवारण हेतु 8 मई 1933 ईस्वी को भारत में हरिजन यात्रा प्रारंभ की तथा इस दौरान 12 सप्ताह आंदोलन भी स्थगित रखा गया।
◆ 1934 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति से संयास ले लिया।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन (27 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932)

◆ इस गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया तथा इसी में 1935 के एक्ट की अंतिम रूपरेखा तैयार की गई थी।

भारत शासन अधिनियम 1935

◆ ब्रिटेन द्वारा शासन संचालन करने हेतु भेजा गया यह अंतिम एक्ट था। जो साइमन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर तैयार हुआ।
◆ यह आज तक का सबसे लंबा एवं जटिल एक्ट था जिसमें 321 अनुच्छेद 14 भाग व 10 अनुसूचियां थी।
भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति तथा संविधान लागू होने तक इसी एक्ट के तहत शासन लागू किया गया था।
◆ वर्तमान संविधान का दो तिहाई भाग इसी एक्ट की नकल है।
◆ इस एक्ट द्वारा प्रांतों को स्वतंत्रता प्रदान की गई। (6 प्रांत – बंगाल, मद्रास, मध्य प्रांत, सिंध, पूर्वी प्रांत, मुंबई)
◆ केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया।
◆ इस एक्ट द्वारा ही शक्तियों का विभाजन किया गया जिसके तहत तीन सूचियां बनाई गई – संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची।
◆ अवशिष्ट विषय पर गवर्नर जनरल को अधिकार प्रदान किया गया इसी एक्ट द्वारा पृथक निर्वाचन क्षेत्र में विस्तार किया गया तथा शेष रही अन्य जातियों एवं दलितों को पृथक निर्वाचन प्रदान किया गया।
◆ इसी के तहत ही महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ।
◆ दिल्ली में संघीय न्यायालय की स्थापना की गई जिसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश लॉर्ड ग्वायस बने।
◆ 1 अप्रैल 1935 को आरबीआई की स्थापना की गई जिसके प्रथम गवर्नर ऑस्बर्न स्मिथ बने।
◆ बर्मा व अदन को भारत से अलग किया गया।
◆ संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई।
◆ सिंध व उड़ीसा नये प्रांत बनाये गये।
◆ जवाहरलाल नेहरू – “हमें एक ऐसी गाड़ी दी गई जिसके ब्रेक तो ठीक है लेकिन इंजन का अभाव है।”
◆ मोहम्मद अली जिन्ना – “पूर्णत: सड़ी गली व्यवस्था।”
◆ सी राजगोपालाचारी – “नया द्वैध शासन पुराने द्वैध शासन से भी बुरा है।”
◆ 1938 ईस्वी में कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस ने कि। इस अधिवेशन में ही कांग्रेस ने रियासतों के प्रति अपनाई गई अहस्तक्षेप की नीति का त्याग किया तथा जेएल नेहरू की अध्यक्षता में योजना समिति की स्थापना की गई।
◆ 1939 में कांग्रेसका त्रिपुरा अधिवेशन हुआ जिसमें साम्यवादी (गांधी जी) की तरफ से पट्टाभिसीतारमैया व राष्ट्रवादियों की तरफ से सुभाषचंद्र बोस उम्मीदवार बने। सुभाषचंद्र बोस की विजय हुई तथा गांधीजी ने सीतारमैया की हार को अपनी हार बताया एवं कार्यकारिणी के गठन को लेकर गांधी व बोस में मतभेद हुआ, अंततः बोस द्वारा कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया गया। ।
◆ 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ जिसमें अंग्रेजों द्वारा भारत को भी शामिल कर दिया गया। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए अक्टूबर 1939 में मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। (राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग)
◆ इस पर प्रशंसा जताते हुए मुस्लिम लीग (जिन्ना) व बी आर अंबेडकर ने 22 दिसंबर 1939 को मुक्ति दिवस मनाया।
◆ 1940 में कांग्रेस का रामपुरा (बिहार) अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता मौलाना आजाद द्वारा की गई।
◆ मौलाना आजाद कांग्रेस के सबसे युवा एवं सर्वाधिक लम्बे कार्यकाल (1940-46) तक अध्यक्ष रहे।
◆ कांग्रेस द्वारा केंद्र में राष्ट्रीय सरकार के गठन के बदले द्वितीय विश्वयुद्ध में सहायता का प्रस्ताव रखा गया। इसे अस्वीकार करते हुए लॉर्ड लिनलिथगो ने 6 अगस्त 1940 को कांग्रेस के समक्ष प्रस्ताव रखा, जिसमें भारत को औपनिवेशिक राष्ट्र का दर्जा प्रदान करने की बात रखी गई, जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से भी जाना जाता है। कांग्रेस द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया।

व्यक्तिगत सत्याग्रह – 1940

◆ महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध नैतिक विरोध प्रदर्शन करने हेतु 17 अक्टूबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ किया। जिसमें विनोबा भावे – प्रथम, जवाहरलाल नेहरू – द्वितीय, सी राजगोपालाचारी – तृतीय, सरोजिनी नायडू – चतुर्थ, आसफ अली – पांचवें सत्याग्रही बने।
◆ इस आन्दोलन के दौरान 30,000 सत्याग्रहियों ने भाग लिया एवं अपनी गिरफ्तारियां दी।

 क्रिप्स मिशन – 1942

◆ यूएसए के दबाव में चर्चिल द्वारा भारतीयों से सहयोग प्राप्त करने हेतु 12 मार्च 1942 को इस मिशन को भारत क्रिप्स मिशन द्वारा 25 मार्च 1942 को निम्न प्रस्ताव रखे गए –
(i) भारत को औपनिवेशिक राष्ट्र का दर्जा प्रदान किया जाएगा।
(ii) भारतीय संविधान का निर्माण भारतीयों द्वारा किया जाएगा तथा भारत संघ की स्थापना की जाएगी।
(iii) देसी रियासतों व प्रांतों को अलग संविधान बनाने अथवा केंद्रीय संविधान को मानने की छूट दी गई।
◆ सभी दलों के द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया एवं महात्मा गांधी ने इसे “उत्तरांकित तिथि के नाम चेक की संज्ञा दी।”
◆ जवाहरलाल नेहरू ने कहा “मेरे प्रिय मित्र क्रिप्स शैतान के वकील बनकर आए थे हैं।”

भारत छोड़ो आंदोलन – 1942

◆ 14 जुलाई 1942 को वर्धा महाराष्ट्र में कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के समक्ष आंदोलन का प्रस्ताव रखा गया। 8 अगस्त 1942 में ग्वालिया टैंक मैदान मुंबई में जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस सभा के समक्ष भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव रखा। इसी दौरान नेहरू ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो” व महात्मा गांधी ने “करो या मरो” का नारा दिया था।
◆ अंग्रेजों द्वारा ऑपरेशन जीरो के तहत 9 अगस्त को सभी राजनेताओं को बंदी बना लिया गया। गांधीजी को आगा खां पैलेस में नजरबंद रखा गया जहां उनके निजी सचिव महादेव देसाई व पत्नी कस्तूरबा गांधी की मृत्यु हो गई।
◆ जयकर को बिहार की हजारीबाग जेल में रखा गया जो भागने में सफल रहा तथा इन्होंने भूमिगत होकर आजाद दस्ते की स्थापना की।
◆ उषा मेहता द्वारा भूमिगत रेडियो स्टेशन की स्थापना की गई।
◆ फरवरी 1943 में अंग्रेजों की दमन नीति के विरुद्ध 21 दिन का उपवास रखा। जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई।

पाकिस्तान की मांग

◆ 1930 ईस्वी में सर्वप्रथम मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन में मोहम्मद इकबाल द्वारा मुस्लिमों के पृथक राज्य के निर्माण का विचार रखा था।
◆ 1933 ईस्वी में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत खां द्वारा पाकिस्तान की मांग रखी गई। इन्होंने “अभी नहीं तो कभी नहीं” नाम से पर्चे बांटे।
◆ 1937 ईस्वी में वे चुनावों में लीग की मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्रों में भी बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। इस कारण जिन्ना द्वारा कांग्रेस पर मुस्लिमों के शोषण का आरोप लगाया गया।
◆ कांग्रेस ने पीरपुर के राजा मोहम्मद मेहंदी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसने इन आरोपों को निराधार बताया।
◆ 1940 में लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया गया।
◆ पाकिस्तान के निर्माण का विरोध अन्य मुस्लिम संगठनों ने भी किया जैसे – सिंध के मुस्लिम नेता मोहम्मद खालिद हुसैन, खुदाई खिदमतगार संघ, जमात-उल-उमरा-ए-हिंद, आजमात-ए-इस्लाम-हिंद आदि।

◆ डॉक्टर लतीफ योजना 1942 :- डॉक्टर लतीफ ने सांस्कृतिक आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की योजना तैयार की थी। यह राज्यों को सम्मान जातीय संघ में बसाने के पक्षधर थे, परंतु यह योजना असफल रही।
◆ लीग ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया।
◆ 1943 में हुए कराची अधिवेशन में जिन्ना द्वारा ‘द्विराष्ट्र का सिद्धांत’ प्रस्तुत किया गया। भारत छोड़ो आन्दोलन के विरोध में ‘बांटो व छोड़ो’ का नारा दिया एवं 23 मार्च 1943 को पाकिस्तान दिवस मनाया गया।

लियाकत देसाई फार्मूला 1944 :- लीग के उपनेता लियाकत अली खाँ व कांग्रेस के भूलाभाई देसाई ने पाकिस्तान पर एक फार्मूला तैयार किया जो असफल रहा।
◆ कैबिनेट मिशन द्वारा भी पाकिस्तान निर्माण का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया। अतः लीग ने 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाया जिसमें भयंकर दंगे कराए गए।
◆ अंततः माउंटबेटन योजना के तहत 3 जून 1947 को पाकिस्तान का निर्माण हुआ जो 14 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ।
◆ मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने।

कैबिनेट मिशन – 1946

◆ यह 3 सदस्यीय दल था – पैथिक लोरेंस (अध्यक्ष), स्टैनफोर्ड क्रिप्स, ए. वी. एलेग्जेंडर।
◆ कैबिनेट मिशन के तहत ही संविधान सभा का गठन हुआ जिनके सदस्यों का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर किया गया।
◆ कुल सदस्य संख्या – 389
◆ प्रांतों से 292, केंद्र शासित प्रदेशों से 4, देसी रियासतों से 9
◆ जुलाई 1946 में 296 (292+4) सदस्यों पर चुनाव हुए (जिसमें कांग्रेस 208 सदस्य, मुस्लिम लीग 73 व अन्य पार्टियों को 15 सीटें प्राप्त हुई)
◆ लीग को अल्प बहुमत होने के कारण संविधान सभा का बहिष्कार कर दिया एवं अप्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाया गया।

एटली की घोषणा फरवरी 1947 :- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली (मजदूर दल) ने फरवरी 1947 को घोषणा की कि जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र कर दिया जाएगा।

माउंटबेटन योजना :- ब्रिटिश भारत के अंतिम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन 23 मार्च 1947 को भारत आए 3 जून 1947 को इन्होंने विभाजन की घोषणा की। इसी दिन 2 पृथक राष्ट्रों का निर्माण हुआ।

भारत स्वतंत्रता विधेयक 1947 :- स्वतंत्रता विधेयक 4 जुलाई 1947 को संसद में रखा गया जो 18 जुलाई 1947 को पारित हुआ एवं 15 अगस्त 1947 को लागू हुआ।

◆ 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई।

History Topic Wise Notes
राष्ट्रीय आन्दोलन (1919-1947) गांधीयुग

Leave a Comment