रूस की क्रांति | Russian Revolution in Hindi PDF: इतिहास की इस पोस्ट में रूस की क्रांति से संबंधित नोट्स एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है
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रूस की क्रांति | Russian Revolution in Hindi PDF
👉🏻 रूस में रोमोनोव वंश का शासन था तथा यहाँ के शासक जॉर्ज कहलाते थे।
👉🏻 1917 में हुई क्रांति का मुख्य कारण 1905 की क्रांति की सफलता के बाद स्थापित रूसी संसद ड्यूमा की अव्यवस्था थी।
1905 की क्रांति
👉🏻 क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बडे़ इस देश में कई बहुभाषी जनता निवास करती थी, जिनमें पोलिश, उज्बेक, जीदींदीस्त (मुस्लिम बहु ) तथ रूसी लोग रहते थे।
👉🏻 जार ने सभी के लिए एक समान रूसी भाषा तथा एक धर्म रोमन कैथोलिक को लागू करने का प्रयास किया इससे दूसरी भाषा बोलने वाले लोगों के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई।
👉🏻 1905 में जापान जैसे छोटे से देश ने रूस को हरा दिया। इससे रूसी जनता के मन में शासन के प्रति असंतोष की भावना उत्पन्न हुई।
👉🏻 इसी असंतोष की वजह से 22 जनवरी, 1905 को फादर गैपो के नेतृत्व में एक जुलूस निकाला गया तथा जार के सैनिक ने निहत्थी जनता पर गोलियां चलायी।
👉🏻 यह दिन रूसी इतिहास में खूनी इतवार के नाम से प्रसिद्ध है।
👉🏻 इस घटना से पेट्रोगार्ड (सेंटपीट्सबर्ग) के श्रमिकों ने आंदोलन किया तथा जार ने 30 अक्टुबर, 1905 को रूसी संसद ड्यूमा की स्थापना की।
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तात्कालिन कारण
👉🏻 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान घटित इस घटना को दो भागों में बाँटा जाता है- मार्च तथा नवम्बर की क्रांति।
👉🏻 इस समय रूस का शासक निकोलस द्वितीय था।
👉🏻 निकोलस की पत्नी एलेनजेड्रा फेड्रोरोवना थी जो कि जर्मन मूल की थी।
👉🏻 जारीना पर ग्रेगरी एफीमोविच नोखिक का अत्यधीक प्रभाव था जो रासपूटिन के नाम से जाना जाता था।
👉🏻 30 दिसम्बर, 1916 को रासपूटिन की हत्सा की गई तथा जार ने अपनी निरंकुशता बढ़ा दी।
👉🏻 7 मार्च, 1917 को पेट्रोगार्ड के श्रमिकों ने हडताल कर दी।
👉🏻 8 मार्च को श्रमिक महिलाओं ने सड़कों पर जुलूस निकाला। यही दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
👉🏻 11 मार्च को जार ने ड्यूमा को भंग किया।
👉🏻 14 मार्च ‘ल्यून‘ को प्रधानमंत्री घोषित किया गया तथा अगले ही दिन जार ने अपने भाई ड्यूक माइकल के पक्ष में राजगद्दी त्याग दी तथा माइकल ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया, इस प्रकार रोमोनोव शासन का अंत हुआ।
👉🏻 परन्तु यह क्रांति श्रमिक वर्ग के लिए किसी भी स्थिति में लाभप्रद नहीं हुई क्योंकि ड्यूमा युद्ध को जारी रखना चाहती थी तथा रूसी जनता इसके पक्ष में नही थी।
👉🏻 जुलाई 1917 को ड्यूमा भंग कर दी गई तथा पूर्व न्याय मंत्री करेन्सर्की के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ।
👉🏻 जर्मनी इस समय तेजी से रूस के अधिकार क्षेत्र की ओर बढ़ रहा था तथा रूसी सेनापति कार्निलोव ने सत्ता पर नियंत्रण स्थापित करना चाहा।
👉🏻 इसी समय केरेन्सकी ने बोल्शेविक दल रो सहायता मंत्री था और उसका बोल्शेविकों का बहुमत सत्ता में बढ़ता गया।
👉🏻 इन्होंने अपने समाचार पत्र प्रावदा में यह घोषणा की कि सभी जमीदारों की सारी भूमि कृषकों में बाँट दी जायेगी।
👉🏻 इससे कृषक वर्ग भी बोल्शेविक दल के साथ हो गया।
👉🏻 6-7 नवम्बर की मध्यरात्री में पेट्रोगार्ड तथा मास्को की सड़कों पर श्रमिक व कृषक एक साथ उत्तर आये तथा उन्होंने बैकों, पोस्ट ऑफिस, रेल्वे स्टेशन आदि पर कब्जा कर लिया।
👉🏻 7 नवम्बर को मॉस्कों महल पर कब्जा कर लिया गया।
👉🏻 केरेसकी देश छोड़ कर भाग गया तथा बोल्शेविक नेता ब्लादिमी लेनिन इसका सर्वेसर्वा बना तथा ट्राटस्की को विदेश मंत्री बनाया गया।
👉🏻 इनकी प्रथम प्राथमिकता रूस को प्रथम विश्व युद्ध से अलग करना था इसलिए 3 मार्च 1918 को रूस ने जर्मनी के साथ ‘बेस्ट लिटोवेएक‘ की संधि की।
👉🏻 हालांकि इस संधि से रूस को अत्यधिक हानि हुई।
👉🏻 रूस की 34 प्रतिशत जनसंख्या, 32 प्रतिशत कृषि भूमि तथा 89 प्रतिशत कोयला उत्पादन क्षेत्रों से हाथ धोना पड़ा।
👉🏻 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान घटी इस घटना से मित्र राष्ट्र रूस से क्रोधित हुए तथा उन्होंने रूस को विखण्डित करने की योजना बनायी तथा पुनः राजतंत्र को स्थापीत करने का प्रयास किया।
👉🏻 इन विद्रोही को लेनिन द्वारा बेरहमी से कुचला गया तथा इसके लिए उसने मृत्युदण्ड की प्रणाली चेका का प्रयोग किया।
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