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संज्ञा नोट्स | Hindi Noun Notes

Hindi Noun Notes: हिन्दी व्याकरण (संज्ञा) sangya in hindi की इस पोस्ट में संज्ञा (sanghya), व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun), जातिवाचक संज्ञा (Common Noun), भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) के नोट्स उपलब्ध करवाए गये है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है

Hindi Noun Notes

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संज्ञा नोट्स | Hindi Noun Notes

» इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जो कोई भी पदार्थ हमंस दिखाई देता है अथवा जिसका मन से अनुभव किया जाता है उन सब पदार्थों के नाम को संज्ञा कहते है
अथवा
» किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव, अवस्था, गुण या दशा के नाम को संज्ञा कहते हैं ।
जैसे :- राम , सीता , पुस्तक , जयपुर , अच्छा , अमीरी , बालपन ।

संज्ञा के भेद Types of Noun

 हिन्दी व्याकरण में संज्ञा के मुख्यतः तीन भेद माने जाते है –

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. भाववाचक संज्ञा

1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)    

जिस संज्ञा शब्द में एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे “व्यक्तिवाचक संज्ञा” कहते हैं । व्यक्तिवाचक संज्ञा, ‘विशेष’ का बोध कराती हैं । ‘सामान्य’ का नहीं प्राय: व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, देशों, शहरों, नदियों, पर्वतों, त्योहारों, पुस्तकों, दिशाओं, समाचारपत्रों, दिनों और महीनों आदि के नाम आते हैं जैसे :-
(अ) व्यक्ति :- राम , सीता , सोहन , अर्जन , रजनी कपिल चेतन ।
(ब) वस्तु :- रामायण , ऊषा पंखा , रीटा मशीन।
(स) स्थान : – सीकर , गंगा , हिमालय , हवामहल

व्यक्तिवाचक संज्ञा की पहचान :-
(i) व्यक्तियों के नाम – कालिदास, अर्जुन, शेक्सपीयर
(ii) दिशाओं के नाम – उत्तर, दक्षिण, पूर्व पश्चिम
(iii) देशों के नाम – अमरीका, भारत, भूटान, नेपाल
(iv) पहाड़ों के नाम – हिमालय, गोवर्धन, विन्ध्याचल
(v) समुद्रों के नाम – हिन्द, प्रशान्त, भूमध्य सागर
(vi) नदियों के नाम – गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा
(vii) दिनों के नाम – सोमवार, मंगलवार, बुधवार
(viii) महीनों के नाम – जनवरी, फरवरी, चैत्र, बैशाख
(ix) पुस्तकों के नाम – रामायण, गीता, बाईबल, गोदान
(X) समाचार पत्रों के नाम – राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी
(xi) त्योहारों उत्सवों के नाम – होली, ईद, क्रिसमस, स्वतंत्रता दिवस
(xii) नगरों के नाम – सीकर, जयपुर, प्रयास, कोटा
(xiii) सड़कों/चौकों के नाम – ग्रांड ट्रक रोड, लालचौक ।
(xiv) ऐतिहासिक युद्धों के नाम – पानीपत/हल्दीघाटी का युद्ध
(xv) राष्ट्रीय जातियों के नाम – पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, भूटानी

2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)

संज्ञा शब्द से किसी जाति के संपूर्ण प्राणियों, वस्तुओं, स्थानों आदि का बोध होता हो उसे “जातिवाचक संज्ञा” कहते हैं । गाय, आदमी, पुस्तक, नदी आदि शब्द अपनी पूरी जाति का बोध कराते हैं, इसलिए जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं प्राय: जातिवाचक संज्ञा में वस्तुओं, पशु-पक्षियों, फल-फूल, धातुओं, व्यवसाय संबंधी व्यक्तियों, नगर, शहर, गांव, परिवार, भीड़ जैसे समूहवाची शब्दों के नाम आते हैं। जैसे –
(अ) प्राणी :- गाय, मनष्य, घोड़ा, तोता, कबूतर
(ब) वस्तु :- पुस्तक, पंखा, मशीन, दूध, साबुन
(स) स्थान :- पहाड़, नदी, शहर, गाँव, विद्यालय

3. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)

जिस संज्ञा शब्द से प्राणियों या वस्तुओं के गुण, धर्म दशा, कार्य, मनोभाव आदि का बोध हो उसे “भाववाचक संज्ञा” कहते हैं । प्राय: गुण, दोष, अवस्था, व्यापार, अमूर्त भाव तथा क्रिया के मूल रुप ‘भाववाचक संज्ञा’ के अंतर्गत आते हैं।

जैसे :- सुख, बचपन, सुन्दरता, मानवता, मनुष्यत्व, शैशव, गौरव, नौकरी, बुढ़ापा, अहंकार, सर्वस्व, अच्छाई, खटास, मीठास, वीरता, माधुर्य, खट्टापन, वीरत्व, लाली, खेल, लूट, हँसी, चढ़ाई, चुनाव

»  भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना किसी जातिवाचक संज्ञा शब्द/सर्वनाम में/ विशेषण में/ क्रिया में/ अव्यय शब्दों में किसी न किसी प्रत्यय के जुडने से होती है जैसे –

  • जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा –

जातिवाचक संज्ञा + प्रत्यय – भाववाचक संज्ञा
मित्र + ता – मित्रता
बच्चा + पन – बचपन
महात्मा + य – महात्म्य

  • सर्वनाम शब्द से भाववाचक संज्ञा –

सर्वनाम शब्द + प्रत्यय – भाववाचक संज्ञा
अपना + पन – अपनापन
अपना + त्व – अपनत्व
सर्व + स्व – सर्वस्व

नोट :- ममता/एकता जैसे कुछ शब्द ऐसे शब्द होते है जिनमें पूर्णतः भाववाचक संज्ञा ही मानी जाती है परन्तु वाक्य प्रयोग में यदि ये शब्द किसी एक स्त्री विशेष के नाम को प्रकट कर रहे तो हो वहाँ इनमें व्यक्तिवाचक संज्ञा मान ली जाती है जैसे –

ममता शब्द में संज्ञा है – भाववाचक संज्ञा
माँ की ममता अनुपम होती है – भाववाचक संज्ञा
ममता आठवीं में पढ़ती है – व्यक्तिवाचक संज्ञा

  • विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा –

विशेषण शब्द + प्रत्यय – भाववाचक संज्ञा
अच्छा + आई – अच्छाई
सुन्दर + ता/य – सुन्दरता/सौन्दर्य
एक + ता – एकता

  • क्रिया वाचक शब्दों से भाववाचक संज्ञा –

क्रियावाचक शब्द + प्रत्यय – भाववाचक संज्ञा
सजना + आवट – सजावट
घबराना + आहट – घबराहट
मिलना + आवट/आप – मिलावट/मिलाप

संज्ञा के अन्य भेद

अंग्रेजी व्याकरण में संज्ञा के 5 भेद माने जाते है जिसके आधार पर हिन्दी व्याकरण में ही कुछ विद्वान संज्ञा के निम्न 2 भेद ओर स्वीकार कर लेते है –

  1. समुदायवाचक संज्ञा
  2. द्रव्यवाचक संज्ञा


1 . समुदायवाचक संज्ञा (Collective Noun) : –

जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के समूह का बोध हो उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। । जैसे :-
(अ) व्यक्तियों का समूह – भीड़, कक्षा, सभा, सेना, सम्मेलन, गिरोह, जत्था, गोष्ठी, मंडली, टीम, दल, वृन्द।
(ब) वस्तुओं का समूह – गुच्छा, मंडल, झुण्ड, ढेर, कुंज, आगार

2 . द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) –

जिन संज्ञा-शब्दों से किसी धातु, द्रव्य आदि पदार्थों का बोध हो उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे :- तेल, चाँदी, सोना, चावल, घी, पीतल, गेहूँ, कोयला, लकड़ी आदि

नोट – संज्ञा के दोनों उपरोक्त भेद जातिवाचक संज्ञा के ही उपभेद माने जाती है अतः परीक्षा के उक्त विकल्प नहीं होने पर इन शब्दों में जातिवाचक संज्ञा ही मानी जाती है जैसे : –

“सभा” शब्द में संज्ञा है –
(1) व्यक्तिवाचक
(2) जातिवाचक
(3) भाववाचक
(4) उपर्युक्त सभी
उतर – ( 2 )
व्याख्या :- चूँकि इस प्रश्न के विकल्पों में ‘समुदायवाचक संज्ञा’ विकल्प उपलब्ध नहीं है, अत: ऐसी स्थिति में यहाँ ‘जातिवाचक संज्ञा’ वाले विकल्प को सही उत्तर माना जाएगा ।

“सभा” शब्द में संज्ञा है –
(1) व्यक्तिवाचक
(2) जातिवाचक
(3) भाववाचक
(4) समुदायवाचक
उतर – ( 4 )
व्याख्या :- चूँकि इस प्रश्न के विकल्पों में ‘समुदायवाचक’ विकल्प भी मौजूद है, अत: ऐसी स्थिति में यहाँ ‘समुदायवाचक’ वाले विकल्प को सही उत्तर माना जाएगा ।

विशेष नियम : –

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा के कुछ शब्द ऐसे होते है जिनका वाक्य में प्रयोग कर दिए जाने पर अपने गुणों या विशेषताओं को प्रकट करने लग जाते है ऐसे शब्दों में वहाँ जातिवाचक संज्ञा मान ली जाती है जैसे –
मूलतः व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द – वाक्य प्रयोग मंं जातिवाचक संज्ञा
कश्मीर – उदयपुर राजस्थान का कश्मीर है
सीता, सावित्री – भारत में आज भी घर-घर में सीता, सावित्री पाई जाती है
गंगा – अरे, राधा तो गंगा है

2. जातिवाचक संज्ञा के कुछ शब्द ऐसे होते है जो वाक्य में प्रयुक्त किए जाने पर एक व्यक्ति विशेष के अर्थ को प्रकट करने लग जाते है तो वहाँ उन शब्दों में व्यक्तिवाचक संज्ञा मान ली जाती है जैसे :–
 ̵ नेताजी ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया था
 ̵ राजस्थान के एकीकरण में सरदार के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता
 ̵ गांधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे

3. व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द एवं भाववाचक संज्ञा शब्द सदैव एकवचन में ही प्रयुक्त हो सकते है इनका बहुवचन में प्रयोग कर दिया जाता है तो वहाँ इनमें जातिवाचक संज्ञा मानी जाती है जैसे –
विभीषण (व्यक्तिवाचक) – विभीषणों (जातिवाचक)
दूरी (व्यक्तिवाचक) – दूरियाँ (जातिवाचक)
चोरी (व्यक्तिवाचक) – चोरियाँ (जातिवाचक)
प्रार्थना (व्यक्तिवाचक) – प्रार्थनाएं (जातिवाचक)

4. यदि किसी क्रियावाचक शब्द का प्रयोग कर्ता कारक के रूप में कर दिया जाता है तो वहाँ उसे क्रिया न मानकर संज्ञा शब्द माना जाता है एवं ऐसे शब्दों में क्रियात्मक संज्ञा मानी जाती है जैसे –
 ̵ घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है
 ̵ दौड़ना एक अच्छा व्यायाम है
 ̵ पीना एक बुरी आदत है

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