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भारत की विदेश नीति नोट्स । India’s Foreign Policy

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भारत की विदेश नीति नोट्स


भारत की विदेश नीति :-

Q. भारतीय संस्कृति का कौनसा मूल्य विदेश नीति को प्रभावित करते हैं ? 
– ‘ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘ ‘ जीओ और जीने दो ‘ ।

Q . भारतीय विदेशनीति को संविधान में किस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है ? 
राज्य के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 51 में भारत का दायित्व अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करना होगा ।

Q . अनुच्छेद 51 के अनुसार भारतीय राज्य प्रयास करेगा ? A . अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का ।
B . राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का
C , संगठित लोग व्यवहार में अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि – बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का
D . अंतरराष्ट्रीय विवादों के माध्यस्थम् द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का ।

भारतीय विदेश नीति (India Foreign Policy) की प्रमुख विशेषताएँ – 
1 . शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की नीति
2 . उपनिवेशवाद एवं साम्रान्यवाद का विरोध
3 . रंगभेद का विरोध
4 . अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का समर्थन
5 . पंचशील के सिद्धान्त पर आधारित प्रारम्भ में चीन के साथ – चाऊ – एन – लाई तथा नेहरू 28 जून 1954
I . एक दूसरे देश की प्रादेशिक अखण्डता और सर्वोच्च सत्ता के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना
II . अनाक्रमण
III . एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
IV . समानता
V . शांतिपूर्ण सहअस्तित्व
6 . गुटनिरपेक्षता
– गुटनिरपेक्षता आन्दोलन के अगवा – भारत के जवाहर लाल नेहरू युगोस्लाविया के टीटो और मिश्र के नासिर थे ।
– गुटनिरपेक्ष आन्दोलन 1955 के बांडुग सम्मेलन ( 29 देश ) में अस्तित्व में आया ।
– गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का प्रथम सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड ( यूगोस्लाविया ) में 25 विकासशील देशों के प्रतिनिधियों के साथ हुआ ।
– 1988 में 7 वें गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के शिखर सम्मेलन की मेजबानी नई दिल्ली , भारत ने की
 – 17 वां गुट निरपेक्ष आन्दोलन शिखर सम्मेलन सितम्बर 2016 में मारगरीता , कराकस वेनेजुएला में सम्पन्न हुआ ।
– 18 वां गुट निरपेक्ष आन्दोलन शिखर सम्मेलन सितम्बर 2019 में अजरबैजान में होगा ।

गुट निरपेक्षता का अर्थ – विश्व के किसी भी गुट का साथ जिसका स्वरूप सैनिक हो , के साथ जुड़ाव न रखना । यह तटस्थता की नीति नहीं है बल्कि एक स्वतंत्र नीति है ।

भारत द्वारा विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता को अपनाने के कारण :-
1 . भारत किसी गुट का समर्थन करके विश्व में तनाव की स्थिति उत्पन्न करने का पक्षधर नहीं था ।
2 . स्वतंत्र विदेश नीति को अधिक उपयोगी समझा ।
3 . आर्थिक विकास हेतु दोनों ही गुटों से बराबरी के संबंध बनाएँ रखना जरूरी था ।
4 . यह नीति भारत की सामाजिक , सामरिक , भौगोलिक , राजनीतिक , आर्थिक व्यय सांस्कृतिक मांगों के अनुरूप थी ।
5 . देश के प्रारम्भिक नेतृत्व की गुटनिरपेक्षता की नीति में अटूट श्रद्धा व विश्वास था।
6 . यह देश की ऐतिहासिक पृष्टभूमि व विविधतापूर्ण बहुलवादी संस्कृति के लिए अनुकूल थी ।
– वर्तमान समय में गुट निरपेक्ष का तात्पर्य विदेश नीति की स्वतंत्रता से है  तथा इसका उद्देश्य संप्रभु राष्ट्रों को समानता व उनकी संप्रभुता व अखण्डता को सुरक्षित रखना है ।

 भारतीय विदेश नीति (India Foreign Policy) के नवीन आयाम  :-
1 . 90 के दशक में आर्थिक क्षेत्र में किये गये उदारवादी सुधार विदेश नीति के मुख्य आधार बने हुए हैं ।
2 . एक सुरक्षित और स्थिरक्षेत्रीय पर्यावरण की स्थापना करना ताकि भारत का आर्थिक विकास अनवरत जारी रहे ।
3 . आंतकवाद के प्रति शुन्य सहयता की नीति का अनुसरण किया जाना ।

Q . भारतीय विदेश नीति के साथ तीन नये बिन्दु कौन से जुड़े हैं ? 
1 . व्यापार 2 , संस्कृति ३ . सम्पर्क
Q . वर्तमान सरकार की विदेश नीति के 5 मूल सिद्धान्त कौनसे हैं ? 
1 . निरन्तर वार्ता
2 . आर्थिक समृद्धि को प्रोत्साहन
3 . भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान में वृद्धि
4 . राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन
5 . भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की मान्यताओं को प्रोत्साहन
Q . वर्तमान सरकार / प्रधानमंत्री का संबंध है ? 
1 . पड़ोस पहले की नीति
2 . फास्ट ट्रेक नीति
3 . एक्ट ईस्ट नीति
Q . ट्रेक टु नीति से अभिप्राय है ? 
खेल , सांस्कृतिक आदि अनौपचारिक माध्यमों से देशों के लोगों के मध्य संबंध बढ़ाना ।

भारत पाकिस्तान और जम्मू – कश्मीर 
22 – अक्टूबर 1947 – कबालियों और पाक सैना का आक्रमण
26 – अक्टूबर 1947 – कश्मीर का विलय पत्र पर हस्ताक्षर
1 – जनवरी 1948 – भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में शिकायत
1 – जनवरी 1949 – भारत – पाक युद्ध विराम पर सहमत
4 – 5 अगस्त 1965 – भारत – पाक युद्ध
22 – सितम्बर 1965 – भारत – पाक युद्ध बंद
10 – जनवरी 1966 – ताशकन्द समझौता ( लाल बहादुर शास्त्री और अय्यूब खां के मध्य )
3 दिसम्बर , 1971 – भारतीय हवाई अड्डों पर बमबारी ।
16 दिसम्बर , 1971 – ढाका में जगजीत सिंह अरोड़ा के सम्मुख पाकिस्तानी जनरल नियाजी का आत्म समर्पण
3 जुलाई , 1972 – शिमला समझौता इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अलिभुट्टो के मध्य
17 दिसम्बर , 1985 – छ : सूत्री समझौता राजीव गांधी और जिया उलहक के मध्य ।
31 दिसम्बर , 1988 – एक – दूसरे के परमाणु संस्थानों पर हमला  नहीं करने का समझौता ।
फरवरी 1999 – दिल्ली – लाहौर – दिल्ली बस सेवा
14 – 16 जुलाई 2007 – आगरा वार्ता परवेज मुशर्रफ और अटल बिहारी वाजपेयी
15 अगस्त 2016 – भारतीय प्रधानमंत्री की लाल किले से घोषणा पाकिस्तान से वार्ता केवल पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी ।

भारत और चीन :-
28 अप्रैल 1954 – पंचशील सिद्धान्तों पर सहमती
31 मार्च 1959 – दलाईलामा ने भारत में शरण ली
अक्टूबर 1962  – भारत चीन युद्ध
27 – 28 अप्रैल 2018 – वुहान चीन में अनौपचारिक वार्ता नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शीजिनपिंग के मध्य

भारत और नेपाल :- 
30 जुलाई 1950 भारत – नेपाल के मध्य संधि हुई ।
नेपाल – भारत और चैन के मध्य बफर स्टेट है ।
नेपाल भारत का स्वाभाविक मित्र राष्ट्र है ।

भारत और आसियान :-
● आसियान की स्थापना – 1967
5 राष्ट्रों द्वारा वर्तमान में 10 राष्ट्र सदस्य हैं ।
● 1996 में भारत आसियान का पूर्ण संवाद सहभागी राष्ट्र बना ।
● आसियान इंडिया प्लान ऑफ ऐक्शन – 2016 – 20 लागू किया गया है ।
● भारत आसियान से भौगोलिक , सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जुड़ा हुआ है ।
● 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी 2018 गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि थे ।

सार्क / दक्षेस / दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन :-
स्थापना – 1985
मुख्यालय – काठमाण्डू 1987 में
8 वां देश – अफगानिस्तान अप्रैल 2007 में ।
7 – भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश , नेपाल , श्रीलंका , भूटान व मालदीव ।
● सार्क का विश्व की लगभग 21 % जनसंख्या , 3 % भू – भाग और 9 % से अधिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान है ।
● 19 वां शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में प्रस्तावित लेकिन भारत के बहिष्कार कारण स्थगित है ।
● 1995 ( 8वां ) , 2007 ( 14वां ) शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में हुएँ थे ।
साफ्टा – दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र 1 जनवरी 2006 से लागू है ।

भारतीय प्रधानमंत्री और विदेशनीति :-
 प्रधानमंत्री देश की विदेशनीति का निर्धारक होता है ।
जवाहरलाल नेहरू – असलंग्नता / तटस्थता नीति
मोरारजी देसाई / ( अटल बिहारी वाजयपेयी ) – वास्तविक गुट निरपेक्षता नीति
पी . वी . नरसिम्हा राव – लुक ईस्ट नीति
इन्द्र कुमार गुजराल – बड़ा पड़ौसी या गुजराल डाक्ट्रीन
नरेन्द्र मोदी – पहले पड़ौसी की नीति , एक्ट ईस्ट नीति , फास्ट ट्रेक नीति

विदेश नीति (India Foreign Policy) के निर्धारक तत्व – 
1 . जनसंख्या
2 . भौगोलिक स्थिति
3 . प्राकृतिक सम्पदा
4 . औद्योगिक स्त्रोत और क्षमता
5 . सैनिक शक्ति
6 . भाषा , धर्म , नस्ल और संस्कृति
7 . विचारधारा
8 . नीति – निर्माता
9 . विश्व जनमत
10 . विश्व संगठन
11 . सम्बद्ध देशों की प्रतिक्रिया

विदेश नीति के लक्ष्य – राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति , पूर्ति एवं रक्षा 1 . राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा
2 . विश्वशांति और सुरक्षा की स्थापना
3 . चंहुमुखी आंतरिक विकास
4 . आर्थिक उद्देश्य
5 . वैचारिक उद्देश्य
6 . सैनिक दृष्टि से शक्तिशाली बनना
7 . राष्ट्रीय स्वाधीनता की रक्षा करना
8 . सांस्कृतिक उद्देश्य

विदेश नीति (India Foreign Policy) में नेहरू का योगदान :-
Q . नेहरू PM , के साथ – साथ विदेश मंत्री भी रहे ( 17 वर्ष तक सबसे लंबे समय तक विदेश मंत्री )
1 . स्वतंत्र विदेश नीति की नींव डाली ( महाशक्ति की नींव )
2 . व्यापक दृष्टिकोण का समावेश यानि वे अंतर्राष्ट्रीयता और अखिल एशियावाद के समर्थक थे ।
3 . शांति , सह अस्तित्व और भाई चारे पर आधारित विदेश नीति की नींव डाली ( पंचशील )
4 . राष्ट्रमण्डल का सदस्य बने रहना लेकिन ब्रिटिश ताज की सर्वोच्चता को अस्वीकार कर दिया
5 . ‘ असंलग्नता ‘ नीति का निर्माता
6 . एशिया – अफ्रीका एकता का विचार रखा
विफलताएँ :-
 1 . आदर्श विदेश नीति फलत : राष्ट्रीय विकास में सहायक नहीं बनी ।
2 . चीन से रक्षा करने में असफल रहे ।

भारत की विदेश नीति (India Foreign Policy)
 
 विषय – राजनीती विज्ञान ( विदेश नीति ) 
 
 
पेज संख्या – 5
 
प्रारूप – पीडीएफ
 
पीडीएफ आकार – 2 MB
 

भारत और संयुक्त राष्ट्र :-

● भारत ने सान – फ्रांसिस्को सम्मेलन 1945 में भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र के मूल संस्थापक 51 राष्ट्रों में से एक बन गया ।
● वर्तमान में 193 देश सदस्य , 193 वां मॉन्टेनेग्रो 2006 में बना ।
1 . महासभा – यह संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष संस्था है । इसमें सदस्य देश अधिकतम 5 प्रतिनिध भेज सकता है । इसका वार्षिक सम्मेलन सितम्बर माह में ( द्वितीय  मंगलवार से ) होता है । 1953 में भारत की विजय लक्ष्मी पंडित इसकी अध्यक्ष बनी थी ।
वर्तमान प्रतिनिधि – सैयद अकबरूद्दीन – न्यूर्याक सिटी 2016 से
                         – राजीव कुमार चन्देर – जनेवा 2017 से
● वर्तमान महासभा अध्यक्ष – श्री मिरोस्लाव लाजकक ( 72 वें ) देश – स्लोवाक

UN के शांति मिशनों में भारत का योगदान :- 
● अब तक भारत ने 49 शांति मिशनों में भाग लिया है । जिनमें लगभग 1 लाख 95 हजार जवानों का योगदान दिया है
● 15 सैन्य कमाण्डर दिये हैं तथा वर्तमान में मेजर जनरल जय शंकर मेनन , ‘ गोलन हाइट्स ‘ मिशन के कमाण्डर हैं ।
● 168 भारतीय सैनिक इन मिशनों में वीरगति को प्राप्त हुए हैं ।
● कांगो मिशन ( 1960 – 64 ) के दौरान केप्टन G . S . सलारिया को मरणोपरांत ‘ परमवीर चक्र ‘ प्रदान किया गया था ।
वर्तमान में चल रहे अभियानों में योगदान :-
1 . लेबनान ( 1998 से )
2 , कांगो ( 2005 से )
3 . सुडान ( 2005 से )
4 . गोलन हाइट्स ( 2006 से )
5 . आइवरी कोस्ट ( 2017 से )
6 . हैती ( 1997 से )
7 . लाइबेरिया ( 2007 से ) ( महिला सदस्य भी शामिल )

2 . सुरक्षा परिषद् :-
◆ 5 स्थायी सदस्य – अमेरिका , ब्रिटेन , फ्रांस , रूस , चीन
◆ 10 अस्थायी सदस्य – कार्यकाल 2 वर्ष का होता है ।

भारत सुरक्षा परिषद् में –
1 . 1950 – 51
2 , 1967 – 68
3 . 1972 – 73
4 . 1977 – 78
5 . 1984 – 85
6 . 1991 . 92
7 . 2011 – 12
● सुरक्षा परिषद विश्व शांति के लिए उत्तरदायी संगठन है । अतः इसे विश्व का ‘ पुलिस मैन ‘ कहा जाता है ।
● स्थायी सदस्यों को वीटो / निषेध शक्ति प्राप्त है ।
● सुरक्षा परिषद् की अध्यक्षता प्रत्येक राष्ट्र 1 माह के लिए करता है । निर्णय के लिए 9 राष्ट्रों का सर्मथन आवश्यक है लेकिन स्थायी सदस्य विटो प्रयोग करके कार्यवाही रोक सकता है ।

3 . अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय :-
 मुख्यालय – हेग ( नीदरलैंड )
स्थापना – जून 1945 ,
शुरूआत – अप्रैल 1946 से
संगठन – 15 न्यायाधीश
कार्यकाल – 9 वर्ष
चुनाव – महासभा व सुरक्षा परिषद् प्रत्येक 3 वर्ष में 5 न्यायाधीशों का करते हैं ।

भारत और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय –
1 . सर बेनेगल राव – 1952 – 53 जज
2 . न्यायाधीश के रूप में – 1973 – 88 कार्यरत रहें ।
नगेन्द्र सिंह 1976 – 79 उपाध्यक्ष
नगेन्द्र सिंह 1985 – 88 अध्यक्ष
3 . रघुनाथ स्वरूप पाठक – 1989 – 1991 जज
4 . दलवीर भण्डारी 2012 से . . . . . जज

4 . आर्थिक तथा सामजिक परिषद्  :- 
संगठन – 54 सदस्य
स्थापित – 1946
● 18 सदस्यों को प्रति वर्ष निर्वाचन महासभा द्वारा किया जाता है ।
● 2018 – 20 तक के लिए भारत सदस्य है ।
● भारत शुरू से ही इस संस्था का सदस्य रहा है ।

5 . न्यास परिषद् :-
1994 से इसके कार्य स्थगित कर दिये गये ।

6 . सचिवालय :-
● न्यूयॉर्क में स्थित है ।
● इसका प्रशासनिक प्रभारी महासचिव होता है ।
वर्तमान सचिव – एंटोनियो गुटेरस ( पुर्तगाल ) 9th
● महासचिव सुरक्षा परिषद् की सलाह पर 5 वर्ष के लिए महासभा द्वारा चुना जाता ।

UN की विशेष संस्थाएं :-
1 . खाद्य और कृषि संगठन ( FAO ) , रोम इटली 1945
2 . अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ( ICAO ) , मॉट्रियल , कनाडा 1947
3 . कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष ( FAD ) , रोम , इटली , 1977
4 . अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ( ILO ) , जेनेवा , स्विटजरलैण्ड , 1919
5 . अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन ( IMO ) लंदन , 1948
6 . अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष ( IMF ) वाशिंगटन , 1946
7 . अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ ( ITU ) जेनेवा , 1865
8 . UNESCO पेरिस , 1946
9 . संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन ( UNIDO ) वियना , आस्ट्रीया
10 . सार्वभौमिक पोस्टल संघ ( UPU ) बर्न , स्विटजरलैण्ड , 1874
11 . विश्व बैंक समूह वाशिंगटन , 1946
i . अंतरराष्ट्रीय बैंक विकास और पुनसंरचना के लिए ।
ii . अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम
iii . अंतरराष्ट्रीय विकास संस्थान
12 . विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) , जेनेवा , 1948
13 . विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन ( WIPO ) जेनेवा , 1967
14 . विश्व मापतौल संगठन ( WMO ) जेनेवा , 1873
15 . विश्व पर्यटन संगठन मेड्रिड , स्पेन 1974

Note – राधाकृष्णन यूनेस्को के अध्यक्ष 1952 – 53 में रहे । मौलाना अब्दुल कलाम भी अध्यक्ष रहे । 1956 श्रीमती राजकुमारी अमृत कौर – अध्यक्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन , डॉ . वी . आर . सेन – विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन अध्यक्ष रहे । न्यायमूर्ति पी . एन . भगवती – संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति 1999 – 02

अंतरराष्ट्रीय नीतियों के मुख्य रूझानः वैश्वीकरण और परमाणु अप्रसार के विशेष संदर्भ में :-
 परमाणु अप्रसार संधि – 1968 , लागू – 1970
● 189 देशों द्वारा स्वीकृत
● हस्ताक्षर नहीं करने वाले – इजरायल , पाकिस्तान , भारत उत्तर कोरिया ने 2003 में संधि से अलग हो गया ।
● इस संधि के अनुसार 1968 से पहले परमाणु हथियार विकसित करने वाले राष्ट को ‘ परमाणु राज्य के रूप में पहचान दी गई , वे हैं – अमेरिका , रूस , ब्रिटेन , फ्रांस , चीन ।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था ( IAEA ) 1957
मुख्यालय – वियना ,
अध्यक्ष – युकिया अमानो ( जापान )
● सिविल परमाणु संयंत्रों पर निगरानी रखता है । भारत इसका सदस्य है ।

NSG – परमाणु आपूर्ति समूह – 1978 :-
● 7 देशों द्वारा स्थापित अब 46 सदस्य देश
● भारत सदस्य नहीं है ।
● इसका उद्देश्य परमाणु सामग्री की आपूर्ति पर नियंत्रण स्थापित करना है ।

CTBT – व्यापक परमाणु परीक्षण – प्रतिबंध संधि – 1996 :-
● 183 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं । 164 अनुमोदन कर चुके हैं 44 परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर किया जाना जरूरी है । भारत ने ‘ परमाणु मुक्त विश्व ‘ की शर्त के साथ जोड़ा और इसे विभेदकारी बताते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दिया ।
● भारत , पाकिस्तान , उत्तरी कोरिया ने हस्ताक्षर नहीं किये है । यह संधि अभि  प्रभा नहीं हुई है ।
● यह संधि थल , जल , नभ में परमाणु परीक्षण पर रोक लगाती है , लेकिन वर्तमान समय में परीक्षण प्रयोगशाला में किये जाते हैं ।

◆ भारत और परमाणु अस्त्र :-
● 18 मई 1974 – ‘ बुद्धा हँसे ‘ पोखरण राजस्थान में प्रथम परमाणु अस्त्र परीक्षण
● 11 – 13 मई 1998 – ‘ ऑपरेशन शक्ति ‘ पोखरण राजस्थान में पाँच परमाणु अस्त्रों का परीक्षण किया गया ।
नीति – पहले परमाणु अस्त्रों का प्रयोग नहीं करना लेकिन प्रभावी निवारक शक्ति का विकास करना यानि थल , जल और नभ से परमाणु अस्त्रों को छोड़ने की प्रणाली का विकास राष्ट्रीय हित में करना ।
● नियंत्रण – प्रधानमंत्री के पास ।
● परमाणु कमांड – परमाणु कमांड प्राधिकरण – 2003 में स्थापित
 मुख्यालय – नई दिल्ली में
● परमाणु कमांड प्राधिकरण की राजनैतिक परिषद् का अध्यक्ष प्रधानमंत्री और कार्यकारी परिषद् का अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को बनाया गया है ।
● रणनीतिक बल कमांड – 2003 परमाणु अस्त्रों के रखरखाव , प्रबंधन के लिए उत्तरदायी है ।
● तीनों सेनाओं के मिश्रण से तैयार किया गया है इसका संचालन तीन स्टार जनरल / अधिकारी करता है ।
●  वर्तमान प्रभारी – ले . जनरल अमित शर्मा हैं ।

भारत की विदेश नीति (India Foreign Policy)
 
 विषय – राजनीती विज्ञान ( विदेश नीति ) 
 
 
पेज संख्या – 5
 
प्रारूप – पीडीएफ
 
पीडीएफ आकार – 2 MB
 

 

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