Rajasthan ki Chhatriyan, Rajasthan ki Parmukh Chhatriyan, Rajasthan Culture Notes PDF In Hindi, राजस्थान की प्रमुख छतरियां
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राजस्थान की छतरियां | Rajasthan ki Chhatriyan –
★ छतरी :- राजा महाराजाओं को जहां जलाया जाता था उस स्थान पर उनकी स्मृति में जो इमारत बनाई जाती थी उसे छतरी कहा जाता है।
★ देवल :- जिन स्मृति स्मारकों में चरण या देवताओं की प्रतिष्ठा कर दी जाती है उसे देवल कहा जाता है।
राजवंशों के श्मशान घाट :-
● बड़ा बाग – जैसलमेर राजवंश
● मंडोर की छतरिया – जोधपुर राजवंश
● पंचकुंडा की छतरियां – जोधपुर महारानियो की
● क्षारबाग / छत्रविलास – कोटा राजवंश
● क्षारबाग / केसरबाग – बूंदी राजवंश
● गैटोर की छतरियां – जयपुर राजवंश
● महारानी की छतरी – जयपुर राजवंश
● देवकुंड की छतरी – बीकानेर राजवंश
● आहड़ की छतरियां – मेवाड़ राजवंश
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प्रमुख छतरियां :-
★ 8 खंभों की छतरी :- बांडोली, उदयपुर में है यह महाराणा प्रताप की है इसका निर्माण अमर सिंह प्रथम ने करवाया था।
★ 8 खंभों की छतरी :- सरिस्का, अलवर में यह मिश्र जी की छतरी है।
★ 8 खंभों की छतरी :- मांडलगढ़, भीलवाड़ा में महाराणा सांगा की छतरी है जिसका निर्माण भरतपुर के अशोक परमार ने करवाया।
★ 12 खंभों की छतरी :- कुंभलगढ़ दुर्ग, राजसमंद में यह उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज सिसोदिया की है।
★ 16 खंभों की छतरी :- नागौर दुर्ग में अमर सिंह राठौड़ की
★ 20 खंभों की छतरी :- जोधपुर में यह सिंघवियों की छतरी है।
★ 32 खंभों की छतरी :- मांडलगढ़, भीलवाड़ा में यह जगन्नाथ कछवाहा की है जो हिंदू मुस्लिम शैली में बनी हुई है।
★ 32 खंभों की छतरी :- रणथंभौर, सवाईमाधोपुर में इसका निर्माण हमीर देव चौहान ने अपने पिता जैत्रसिंह के 32 वर्ष के शासनकाल की याद में करवाया। इसे न्याय की छतरी भी कहा जाता है।
★ 80 खंभों की छतरी :- अलवर में यह मूसी महारानी की छतरी है जिसका निर्माण विनय सिंह ने करवाया था। इस पर रामायण और महाभारत के भित्ति चित्र है।
★ 84 खंभों की छतरी :- बूंदी, इसका निर्माण 1631 में राव शत्रुशाल सिंह ने करवाया, यह तीन मंजिला छतरी है जिस पर पशु पक्षियों के चित्र है।
★ जसवंत थड़ा, जोधपुर :- इसका निर्माण महाराजा सरदार सिंह ने जसवंत सिंह द्वितीय की याद में करवाया। इसे राजस्थान का ताजमहल कहते हैं।
★ कागा की छतरी, जोधपुर :- यहाँ जोधपुर राजपरिवार की छतरियां है।
★ सेनापति की छतरी – जोधपुर
★ गोरा – धाय की छतरी – जोधपुर, इसे मारवाड़ की पन्नाधाय कहा जाता है।
★ कीरत सिंह सोढा की छतरी – जोधपुर
★ ब्राह्मण देवता की छतरी – मंडोर, जोधपुर
★ राव कल्याण की छतरी – बीकानेर
★ राणा उदयसिंह की छतरी – गोगुन्दा, उदयपुर
★ गंगा बाई की छतरी – गंगापुर, भीलवाड़ा
★ चेतक की छतरी – हल्दीघाटी, बलीचा गांव, राजसमन्द
★ बख्तावर सिंह की छतरी – मण्डोर, जोधपुर
★ दुर्गादास राठौड़ की छतरी – शिप्रा नदी के किनारे (उज्जैन)
★ जोगीदास की छतरी – उदयपुरवाटी, झुंझुनूं
★ रैदास की छतरी – चितौड़गढ़ दुर्ग
★ सन्त पीपा की छतरी – गागरोन दुर्ग
★ अप्पाजी सिंधिया की छतरी – ताऊसर, नागौर
★ नेड़ा की छतरी – सरिस्का, अलवर – यह छतरियां भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
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