Fundamental Rights in Hindi – मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) अमेरिका के संविधान से लिए गये है जिनका उल्लेख हमारे संविधान के भाग संख्या 3 में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 तक किया गया है इस पोस्ट में मौलिक अधिकार (Maulik Adhikar) से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से उपलब्ध करवाई गई है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे – UPSC, RPSC, SSC, Bank, Police, CTET, REET आदि के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है |
मौलिक अधिकार क्या है ?
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए गये वे अधिकार हैं जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नही किया जा सकता और ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूल रूप में आवश्यक हैं इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता है इन अधिकारों की संख्या मूल संविधान में सात थी लेकिन वर्तमान में छ मौलिक अधिकार (Maulik Adhikar) प्राप्त है |
भाग संख्या- 3 अनुच्छेद – 12 से 35
मौलिक अधिकारों का उद्देश्य – लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना करना।
भाग-3 को भारतीय संविधान का मैग्नाकाटा कहा जाता है।
मैग्नाकार्टा की शुरुआत 1215 में ब्रिटिश सम्राट जॉन ने की थी
मौलिक अधिकारों को लेकर जाग्रति फैलाने का कार्य फ्रांस ने की क्रांति ने किया ।
भारत में सर्वप्रथम मौलिक अधिकारों की मांग 1895 बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज विधेयक / संविधान विधायक में की।
कांग्रेस द्वारा 1917 से 1919 के दौर में मौलिक अधिकारों की मांग की।
1925 में श्रीमती एनी बेसेंट ने “द कॉमन वेल्थ ऑफ इंडिया बिल” में संविधान की मांग की।
1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए गांधीजी इंग्लैंड गए वहां उन्होंने मौलिक अधिकारों (Maulik Adhikar) की मांग की लेकिन 1934 की संयुक्त संसदीय समिति ने 1935 के अधिनियम में मौलिक अधिकार शामिल नहीं किये।
कांग्रेस द्वारा 1927 के मद्रास अधिवेशन व 1930-31के कराची अधिवेशन में मौलिक अधिकारों से संबंधित प्रस्ताव पास किए गए |
Note- 1927 में मद्रास अधिवेशन के अध्यक्ष DR. M.A.ansari जबकि 1931 के कराची अधिवेशन के अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे।
1935 में प. जवाहरलाल नेहरू व 1945 में तेज बहादुर सप्रू ने मौलिक अधिकारों की मांग की।
संविधान सभा द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में एक परामर्श समिति का गठन किया जिसकी दो उपसमिति थीं।
- मुल अधिकारों पर उपसमिति – J.B. कृपालानी
- अल्पसंख्यक के हितों पर उपसमिति – H C मुखर्जी
Note- स्वतंत्रता के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जे.बी.कृपालानी थे।
1946 में यू. एन. ओ. की सामाजिक व आर्थिक परिषद ने एलोनोर रुजवेल्ट की अध्यक्षता में मानवाधिकारों का प्रारूप तैयार करने हेतु आयोग का गठन किया आयेाग ने जून 1948 में मानाधिकारों का प्रारूप दिया।
U N O की महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा की । अत: प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाते हैं।
भारत में मानवाअधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित किया गया जिसके तहत 10 अक्टूबर 1993 को न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में मानवाअधिकार आयोग का गठन किया गया।
(वर्तमान अध्यक्ष- H L दत्तू)
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21 के तहत 18 जनवरी 1999 को राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया जिसे विधिवत रूप से मार्च 2000 में कांता भटनागर की अध्यक्षता में गठित किया गया इसके वर्तमान अध्यक्ष प्रकाश टांटिया है।
Fundamental Rights: मौलिक अधिकार कितने हैं ?
मौलिक अधिकार कितने प्रकार के होते हैं ? – मूलतः मौलिक अधिकार 7 थे लेकिन वर्तमान में 6 हैं। अनुच्छेद 31 में वर्णित संपत्ति के अधिकार को अनुच्छेद 300 (क) में कानूनी अधिकार का दर्जा दे दिया गया।
{1} समानता का मूल अधिकार (Fundamental Right to equality)
अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18 तक
अनुच्छेद- 14 “कानून के समक्ष समानता एवं समान संरक्षण।”
अनुच्छेद 14 मूल ढांचे की अवधारणा को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद -15 – “सामाजिक भेदभाव की समाप्ति।”
– जाति, धर्म, भाषा, लिंग व जन्म स्थान के आधार पर।
– राज्य महिला व बच्चों के हितार्थ भेदभाव कर सकता है।
अनुच्छेद- 16 – “लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता।”
जैसे -जाति, भाषा,लिंग, जन्म स्थान व रक्त समूह के आधार पर।
– राज्य छोटी नौकरियों में स्थानीय को प्राथमिकता दे सकता है ।
– राज्य अनुसूचित जाति व जनजाति के हितार्थ भेदभाव कर सकता है।
अनुच्छेद- 17 – “अस्पृश्यता/ छुआछूत निषेध “
– प्रथम भारतीय अधिनियम 1955
– 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा इस अधिनियम में संशोधन करके नागरिक अधिकार सुरक्षा अधिनियम 1976 में परिवर्तित किया।
अनुच्छेद – 18 – “उपाधियों का अंत”
– राज्य सेना व शिक्षा को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में उपाधि नहीं देता।
– अगर कोई भारतीय विदेशों से उपाधि अर्जित करना चाहे तो भारत के राष्ट्रपति से पूर्व में स्वीकृति लेनी होगी।
Note – भारत रत्न पुरस्कार अनुच्छेद 18 के तहत दिया जाता है।
(2) स्वतंत्रता का मूल अधिकार (Fundamental Right to freedom)
(अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक)
अनुच्छेद -19 – “स्वतंत्रताओं का उल्लेख”
– मूलतः अनुच्छेद 19 में 7 स्वतंत्रता उल्लेखित थी तथा वर्तमान में छह है।
Note – 44 वां संविधान संशोधन अधिनियम 1978 के द्वारा अनुच्छेद 19 (1) च में वर्णित संपत्ति की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया।
क – विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
ख – सभा व सम्मेलन की स्वतंत्रता
ग – संघ व परिसंघ बनाने की स्वतंत्रता
घ-भारतीय क्षेत्र में अबाध भ्रमण की स्वतंत्रता।
ड.- भारतीय क्षेत्र में निवास की स्वतंत्रता।
छ – व्यापार व कारोबार की स्वतंत्रता।
Note – अनुच्छेद 19 में वर्णित स्वतंत्रताओं का संबंध भारतीय नागरिकों से है।
विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निम्न शामिल है –
- व्यावसायिक विज्ञापन करना
- सूचना का अधिकार
- प्रेस की स्वतंत्रता
- संशोधित ध्वज संहिता
- विरोध करना लेकिन हड़ताल करना नहीं।
अनुच्छेद -20 “अपराध व दोष के विरुद्ध संरक्षण”
– कानून को तोड़ने वाला अपराधी होगा अन्यथा नहीं।
– एक अपराध के लिए एक ही सजा ।
– आरोपी अपने विरुद्ध गवाह या साक्ष्य हेतु बाध्य नहीं है।
अनुच्छेद-21 “प्राण व दैहिक स्वतंत्रता / जीवन जीने का अधिकार”
अनुच्छेद -21 (क) – 6 से 14 आयु वर्ग के बालक बालिकाओं को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
– अनुच्छेद 21 (क) 86 वा संविधान संशोधन 2002 के द्वारा जोड़ा गया इसे शिक्षा का संविधान संशोधन भी कहा जाता है।
– अनुच्छेद -20 व अनुच्छेद – 21 को छोड़कर समस्त मौलिक अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के समय प्रतिबंधित या समाप्त किया जा सकता है।
अनुच्छेद -22– “गिरफ्तारी के विरुद्ध संरक्षण”
– गिरफ्तारी का कारण बताना।
– गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर निकटतम न्यायाधीश के समक्ष पेश करना।
– गिरफ्तारी के बाद आरोपी अपना पसंद के अधिवक्ता से परामर्श ले सकता है।
– अनुच्छेद -20 व अनुच्छेद – 22 में मिलने वाले स्वतंत्रता निवारक निरोधक अधिनियमों के तहत गिरफ्तार आरोपी को नहीं मिलेगी।
प्रमुख निवारक निरोधक अधिनियम–
- MISA – आंतरिक सुरक्षा अधिनियम 1971 – 1978
- NASA – राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980
- TADA – आतंकवादी विध्वंसकारी गतिविधि निरोधक अधिनियम 1985 – 1995
- POTO – आतंकवाद निवारक निरोधक अधिनियम 2002-04
वर्तमान में सभी निवारक निरोधक अधिनियम समाप्त है।
– 26 /11 /2008 को मुंबई में आतंकी हमले के बाद 1 जनवरी 2009 को मनमोहन सिंह सरकार द्वारा N I A का गठन किया गया।
N I A – राष्ट्रीय जांच एजेंसी, वर्तमान में बढ़ती हुई घटनाओं को रोकने हेतु सुझाव देती है व घटित घटनाओं की जांच करती है
* स्वतंत्रता से पूर्व भी निवारक निरोधक कानून बने –
- बंगाल राज्य कैदी सुरक्षा अधिनियम 1818
- भारत सुरक्षा अधिनियम 1938
{3} शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against exploitation)
अनुच्छेद 23 व अनुच्छेद 24
अनुच्छेद-23 – “बेगार,बलात-श्रम मानव दुरव्यपार तथा सांगडी प्रथा निषेध”
NOTE – अनुच्छेद 23 में बंधुआ मजदूरी को प्रतिबंध किया गया।
अनुच्छेद – 24 – “बाल श्रम निषेध”
– 14 वर्ष से कम आयु के श्रमिक बाल श्रमिक है।
– मई 2015 में केंद्र सरकार ने व्यवस्था की कि बालक अपने पुश्तैनी व्यवसाय में कार्य कर सकता लेकिन कार्य के साथ प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
– भारत में गुरुपद स्वामी की अनुशंसा पर 1986 में बाल श्रम निषेध कानून बनाए गए (बाल संरक्षण अधिनियम 1986)
– भारत सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2006 को पूर्ण रूप से बाल श्रम को प्रतिबंध किया।
– 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी व पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को संयुक्त रूप से दिया गया।
– कैलाश सत्यार्थी 1980 में “बचपन बचाओ” आंदोलन प्रेणता रहे।
(4) धार्मिक स्वतंत्रता का मूल अधिकार (Fundamental Right to Religious Freedom)
(अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक )
अनुच्छेद 25 – “व्यक्ति अन्त: आत्मा की आवाज के आधार पर किसी भी धर्म को अपना सकता है।”
Note – अनुच्छेद 25 के तहत सिख धर्म का व्यक्ति 24 घंटे अपने पास कृपाण रख सकता है।
अनुच्छेद 26 – “धार्मिक संस्थाओं की स्थापना एवं उनका प्रबंधन”
अनुच्छेद 27 – “संस्थाओं को दी जाने वाली चंदे की राशि कर मुक्त होगी तथा किसी व्यक्ति विशेष को चंदा देने हेतु बाद नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 28 – “राजकीय ,राजकीय सहायता प्राप्त, राजकीय मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा निषेध।
(5) शिक्षा व संस्कृति का मूल अधिकार (Fundamental Rights of Education and Culture)
(अनुच्छेद 29 व अनुच्छेद 30 तक)
अनुच्छेद 29 – “वर्ग के हितों का संरक्षण”
– अल्पसंख्यक के हित – भाषा, लिपि, रहन-सहन, खान-पान वेशभूषा, त्योहार, रीति- रिवाज।
अनुच्छेद 30 – “अल्पसंख्यक वर्ग के हितों के संरक्षण के लिए शिक्षण संस्थाओं की स्थापना”
जैसे – मदरसे
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)
(अनुच्छेद 32)
– अनुच्छेद 32 को भीमराव अंबेडकर ने संविधान की आत्मा कहा है जबकि भाग 3 को संविधान की अन्त: आत्मा कहा है।
– अनुच्छेद 32 का तात्पर्य शीघ्र व त्वरित न्याय से है।
– अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय तथा अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के संबंध में सुनवाई करते हैं तथा पांच प्रकार की रिट जारी करते हैं।
रीट | अर्थ | किसके विरूद्ध |
---|---|---|
बंदी प्रत्यक्षीकरण | सशरीर उपस्थित करना | लोक पदाधिकारी |
अधिकार पृच्छा | किस अधिकार से | लोकपदाधिकारी |
उत्प्रेक्षण | ऊपर मंगवाना | न्यायिक क्षेत्र |
परमादेश | परम आदेश | न्यायिक क्षेत्र |
प्रतिषेध | मना करना | न्यायिक क्षेत्र |
अनुच्छेद – 12 – “राज्य शब्द की परिभाषा”
अनुच्छेद -13 – “कानून विधि का परिभाषा”
– आंशिक रूप से अनुच्छेद 13 में न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति का उल्लेख किया गया है।
– न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति का सबसे पहले प्रयोग अमेरिका में 1803 – 04 में न्यायाधीश मार्शले ने मेडिसन विवाद में किया।
अनुच्छेद -33 – संसद विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से मौलिक अधिकारों (Maulik Adhikar) में संशोधन कर सकती है।
अनुच्छेद -34 – वे क्षेत्र जो सेना के नियंत्रण में है वहां सदैव मौलिक अधिकार लागू है यह आवश्यक नहीं है।
अनुच्छेद -35 – मौलिक अधिकारों (Maulik Adhikar) को प्रभावी करने हेतु संसद विधि निर्माण करेगी।
Fundamental Rights in Hindi PDF –
Fundamental Rights in English PDF –