Hindi Sentence Correction Notes PDF: हिन्दी व्याकरण की इस पोस्ट में हिन्दी व्याकरण के वाक्य शुद्धि टॉपिक से संबंधित नोट्स एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। जो सभी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है ये नोट्स UPSC, SSC, Bank, Railway, RPSC RAS, RPSC Collage Lecturer, RPSC School Lecturer, RPSC 2nd Grade Teacher, REET/RTET, CTET, UPTET, HTET, DSSSB, KVS, Patwari, Gram Sewak, पुलिस एवं अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है। हिन्दी वाक्य शुद्धि Hindi Sentence Correction Notes PDF, Hindi vakya shuddhi, Sentence Correction Notes in Hindi PDF, Hindi Grammar Sentence Notes pdf
हिन्दी वाक्य शुद्धि Hindi Sentence Correction Notes PDF
उच्चारण- मुख से अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है। सभी वर्णो के लिए मुख में उच्चारण स्थान होते हैं। यदि वर्णों का उच्चारण शुद्ध न किया जाए, तो लिखने में भी अशुद्धियाँ हो जाती हैं, क्योंकि हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। इसे जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा भी जाता है।
वर्तनी- लिखने की रीति को वर्तनी या अक्षरी कहते हैं। यह हिज्जे (Spelling) भी कहलाती है। किसी भी भाषा की समस्त ध्वनियों को सही ढंग से उच्चरित करने के लिए ही वर्तनी की एकरूपता स्थिर की जाती है। जिस भाषा की वर्तनी में अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनियों को ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही समर्थ समझी जायेगी। अतः वर्तनी का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से है।
उच्चारण और वर्तनी की विशेष अशुद्धियाँ और उनके निदान
व्याकरण के सामान्य नियमों की ठीक -ठीक जानकारी न होने के कारण बोलने और लिखने में प्रायः भूलें हो जाया करती हैं। शुद्ध भाषा के प्रयोग के लिए वर्णों के शुद्ध उच्चारण, शब्दों के शुद्ध रूप और वाक्यों के शुद्ध रूप जानना आवश्यक हैं। प्रायः दो तरह की भूलें होती हैं- एक शब्द-संबंधी, दूसरी वाक्य-संबंधी। शब्द-संबंधी अशुद्धियाँ दूर करने के लिए श्रुतिलिपि का अभ्यास करना चाहिए। यहाँ हम उच्चारण एवं वर्तनी (Vartani) सम्बन्धी महत्वपूर्ण त्रुटियों की ओर संकेत करंगे।
नीचे कुछ अशुद्धियों की सूची उनके शुद्ध रूपों के साथ यहाँ दी जा रही है
‘अ’, ‘आ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अहार | आहार |
अजमायश | आजमाइश |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
अत्याधिक | अत्यधिक |
आधीन | अधीन |
चहिए | चाहिए |
अजादी | आजादी |
अवश्यक | आवश्यक |
नराज | नाराज |
व्यवहारिक | व्यावहारिक |
अलोचना | आलोचना |
‘इ’, ‘ई’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
तिथी | तिथि |
दिवार | दीवार |
बिमारी | बीमारी |
श्रीमति | श्रीमती |
क्योंकी | क्योंकि |
कवियत्री | कवयित्री |
दिवाली | दीवाली |
अतिथी | अतिथि |
दिपावली | दीपावली |
पत्नि | पत्नी |
मुनी | मुनि |
परिक्षा | परीक्षा |
रचियता | रचयिता |
उन्नती | उन्नति |
कोटी | कोटि |
कालीदास | कालिदास |
‘उ’, ‘ऊ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
पुज्यनीय | पूजनीय |
प्रभू | प्रभु |
साधू | साधु |
गेहुँ | गेहूँ |
वधु | वधू |
हिंदु | हिंदू |
पशू | पशु |
रुमाल | रूमाल |
रूपया | रुपया |
रूई | रुई |
तुफान | तूफान |
‘ऋ’, ‘र’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
रितु | ऋतु |
व्रक्ष | वृक्ष |
श्रृंगार/श्रंगार | शृंगार |
श्रगाल/श्रृगाल | शृगाल |
ग्रहस्थी | गृहस्थी |
उरिण | उऋण |
आदरित | आदृत |
रिषि | ऋषि |
प्रथक् | पृथक् |
प्रथ्वी | पृथ्वी |
घ्रणा | घृणा |
ग्रहिणी | गृहिणी |
‘ए’, ‘ऐ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
सैना | सेना |
एश्वर्य | ऐश्वर्य |
एनक | ऐनक |
नैन | नयन |
सैना | सेना |
चाहिये | चाहिए |
‘ओ’, ‘औ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
रौशनी | रोशनी |
त्यौहार | त्योहार |
भोगोलिक | भौगोलिक |
बोद्धिक | बौद्धिक |
परलोकिक | पारलौकिक |
पोधा | पौधा |
चुनाउ | चुनाव |
होले | हौले |
‘र’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आर्शीवाद | आशीर्वाद |
कार्यकर्म | कार्यक्रम |
आर्दश | आदर्श |
नर्मी | नरमी |
स्त्रोत | स्रोत |
क्रपा | कृपा |
गर्म | गरम |
‘श’, ‘ष’, ‘स’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
दुसाशन | दुशासन |
प्रसंशा | प्रशंसा |
प्रशाद | प्रसाद |
कश्ट | कष्ट |
सुशमा | सुषमा |
अमावश्या | अमावस्या |
नमश्कार | नमस्कार |
विषेशण | विशेषण |
अन्य अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अकाश | आकाश |
अतऐव | अतएव |
रक्शा | रक्षा |
रिक्सा | रिक्शा |
विधालय | विद्यालय |
व्रंदावन | वृंदावन |
सकूल | स्कूल |
सप्ता | सप्ताह |
समान (वस्तु) | सामान |
दुरदशा | दुर्दशा |
परिच्छा | परीक्षा |
बिमार | बीमार |
आस्मान | आसमान |
गयी | गई |
ग्रहकार्य | गृहकार्य |
छमा | क्षमा |
जायेंगे | जाएँगे |
जोत्सना | ज्योत्स्ना |
सुरग | स्वर्ग |
सेनिक | सैनिक |
‘ण’ और ‘न’ की अशुद्धियाँ- ‘ण’ और ‘न’ के प्रयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। ‘ण’ अधिकतर संस्कृत शब्दों में आता है। जिन तत्सम शब्दों में ‘ण’ होता है, उनके तद्भव रूप में ‘ण’ के स्थान पर ‘न’ प्रयुक्त होता है; जैसे- रण-रन, फण-फन, कण-कन, विष्णु-बिसुन।
‘छ’ और ‘क्ष’ की अशुद्धियाँ- ‘छ’ यदि एक स्वतन्त्र व्यंजन है, तो ‘क्ष’ संयुक्त व्यंजन। यह क् और ष् के मेल से बना है। ‘क्ष’ संस्कृत में अधिक प्रयुक्त होता है; जैसे- शिक्षा, दीक्षा, समीक्षा, प्रतीक्षा, परीक्षा, क्षत्रिय, निरीक्षक, अधीक्षक, साक्षी, क्षमा, क्षण, अक्षय,
‘ब’ और ‘व’ की अशुद्धियाँ- ‘ब’ और ‘व’ के प्रयोग के बारे में हिन्दी में प्रायः अशुद्धियाँ होती हैं। इन अशुद्धियों का कारण है अशुद्ध उच्चारण। शुद्ध उच्चारण के आधार पर ही ‘ब’ और ‘व’ का भेद किया जाता है। ‘ब’ के उच्चारण में दोनों होंठ जुड़ जाते हैं, पर ‘व’ के उच्चारण में निचला होंठ उपरवाले दाँतों के अगले हिस्से के निकट चला जाता है और दोनों होंठों का आकार गोल हो जाता है, वे मिलते नहीं हैं। ठेठ हिन्दी में ‘ब’ वाले शब्दों की संख्या अधिक है, ‘व’ वालों की कम। ठीक इसका उल्टा संस्कृत में है। संस्कृत में ‘व’ वाले शब्दों की अधिकता हैं- बन्ध, बन्धु, बर्बर, बलि, बहु, बाधा, बीज, बृहत्, ब्रह्म, ब्राह्मण, बुभुक्षा। संस्कृत के ‘व’ वाले प्रमुख शब्द हैं- वहन, वंश, वाक्, वक्र, वंचना, वत्स, वदन, वधू, वचन, वपु, वर्जन, वर्ण, वन्य, व्याज, व्यवहार, वसुधा, वायु, विलास, विजय।
‘अनुस्वार’, ‘अनुनासिक’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
चांदनी | चाँदनी |
गांधी | गाँधी |
हंसी | हँसी |
दांत | दाँत |
कहां | कहाँ |
अँगुली | अंगुली |
सांप | साँप |
बांसुरी | बाँसुरी |
महंगी | महँगी |
बांस | बाँस |
अंगना | अँगना |
कंगना | कँगना |
उंचा | ऊँचा |
जाऊंगा | जाऊँगा |
दुंगा | दूँगा |
छटांक | छटाँक, छटाक |
पांचवा | पाँचवाँ |
शिघ्र | शीघ्र |
गुंगा | गूँगा |
पहुंचा | पहुँचा |
गांधीजी | गाँधीजी |
सूंड | सूँड |
बांसुरी | बाँसुरी |
महंगा | महँगा |
मुंह | मुँह |
उंगली | ऊँगली |
जहां | जहाँ |
डांट | डाँट |
कांच | काँच |
वर्ण-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अनाधिकार | अनधिकार |
अनुशरण | अनुसरण |
अभ्यस्थ | अभ्यस्त |
अस्थान | स्थान |
अनुकुल | अनुकूल |
अनिष्ठ | अनिष्ट |
अध्यन | अध्ययन |
अद्वितिय | अद्वितीय |
अहिल्या | अहल्या |
अगामी | आगामी |
अन्तर्ध्यान | अन्तर्धान |
अमावश्या | अमावास्या |
आधीन | अधीन |
अकांछा | आकांक्षा |
आर्द | आर्द्र |
इकठ्ठा | इकट्ठा |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उज्वल | उज्ज्वल |
उपलक्ष | उपलक्ष्य |
उन्मीलीत | उन्मीलित |
कलस | कलश |
कालीदास | कालिदास |
कैलाश | कैलास |
कंकन | कंकण |
प्रत्यय-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अनुसंगिक | आनुषंगिक |
अध्यात्मक | आध्यात्मिक |
एकत्रित | एकत्र |
गोपित | गुप्त |
चातुर्यता | चातुर्य |
त्रिवार्षिक | त्रैवार्षिक |
देहिक | दैहिक |
दाइत्व | दायित्व |
धैर्यता | धैर्य |
अभ्यन्तरिक | आभ्यन्तरिक |
असहनीय | असह्य |
इतिहासिक | ऐतिहासिक |
उत्तरदाई | उत्तरदायी |
ऐक्यता | ऐक्य |
गुणि | गुणी |
चारुताई | चारुता |
तत्व | तत्त्व |
तत्कालिक | तात्कालिक |
दारिद्रता | दरिद्रता |
द्विवार्षिक | द्वैवार्षिक |
नैपुण्यता | निपुणता |
प्राप्ती | प्राप्ति |
पूज्यास्पद | पूजास्पद |
पुष्टी | पुष्टि |
लिंग प्रत्यय-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अनाथिनी | अनाथा |
गायकी | गायिका |
दिगम्बरी | दिगम्बरा |
पिशाचिनी | पिशाची |
भुजंगिनी | भुजंगी |
सुलोचनी | सुलोचना |
गोपिनी | गोपी |
नारि | नारी |
श्रीमान् रानी | श्रीमती रानी |
सन्धि-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अधगति | अधोगति |
अत्योक्ति | अत्युक्ति |
अत्याधिक | अत्यधिक |
अद्यपि | अद्यापि |
अनाधिकारी | अनधिकारी |
अध्यन | अध्ययन |
आर्शिवाद | आशीर्वाद |
इतिपूर्व | इतःपूर्व |
जगरनाथ | जगत्राथ |
तरुछाया | तरुच्छाया |
दुरावस्था | दुरवस्था |
नभमंडल | नभोमंडल |
निरवान | निर्वाण |
निसाद | निषाद |
निर्पेक्ष | निरपेक्ष |
पयोपान | पयःपान |
पुरष्कार | पुरस्कार |
समास-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अहोरात्रि | अहोरात्र |
आत्मापुरुष | आत्मपुरुष |
अष्टवक्र | अष्टावक्र |
एकतारा | इकतारा |
एकलौता | इकलौता |
दुरात्मागण | दुरात्मगण |
निर्दोषी | निर्दोष |
निर्दयी | निर्दय |
पिताभक्ति | पितृभक्ति |
भ्रातागण | भ्रातृगण |
महात्मागण | महात्मगण |
राजापथ | राजपथ |
वक्तागण | वक्तृगण |
शशीभूषण | शशिभूषण |
सतोगुण | सत्त्वगुण |
हलन्त-सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
भाग्यमान | भाग्यवान् |
विद्वान | विद्वान् |
धनमान | धनवान् |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
भगमान | भगवान् |
सतचित | सच्चित् |
साक्षात | साक्षात् |
श्रीमान | श्रीमान् |
विधिवत | विधिवत् |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
हिन्दी व्याकरण वाक्य शुद्धि
वाक्य भाषा की अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई होता है। अतएव परिष्कृत भाषा के लिए वाक्य-शुद्धि का ज्ञान आवश्यक है। वाक्य-रचना में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय से संबंधित या अन्य प्रकार की अशुद्धियाँ हो सकती है। इन्हीं को आधार बनाकर परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं।
(I) संज्ञा-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) हिन्दी के प्रचार में आज-भी बड़े-बड़े संकट हैं। (बड़ी-बड़ी बाधाएँ)
(2) सीता ने गीत की दो-चार लड़ियाँ गायीं। (कड़ियाँ)
(3) पतिव्रता नारी को छूने का उत्साह कौन करेगा। (साहस)
(4) कृषि हमारी व्यवस्था की रीढ़ है। (का आधार)
(5) प्रेम करना तलवार की नोक पर चलना है। (धार पर)
(6) नगर की सारी जनसंख्या भूखी है। (जनता)
(7) वह मेरे शब्दों पर ध्यान नहीं देता। (मेरी बात पर)
(8) जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कथा चरितार्थ होती है। (कहावत)
(9) मुझे सफल होने की निराशा है। (आशा नहीं)
(10) इस समस्या की औषध उसके पास है। (का समाधान)
(11) गोलियों की बाढ़। (बौछार)
(i) लिंग संबंधी अशुद्धियाँ
(1) परीक्षा की प्रणाली बदलना चाहिए (बदलनी)
(2) हिन्दी की शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया। (दी गयी)
(3) मुझे मजा आती है। (आता)
(4) रामायण का टीका। (की)
(5) देश की सम्मान की रक्षा करो। (के)
(6) लड़की ने जोर से हँस दी। (दिया)
(7) दंगे में बालक, युवा, नर-नारी सब पकड़ी गयीं (पकड़े गये)
(ii) वचन-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) सबों ने यह राय दी। (सब)
(2) उसने अनेक प्रकार की विद्या सीखीं। (विद्याएँ)
(3) मेरे आँसू से रूमाल भींग गया। (आँसुओं)
(4) ऐसी एकाध बातें सुनकर दुःख होता है। (बात)
(5) हमारे सामानों का ख्याल रखियेगा। (सामान)
(6) वे विविध विषय से परिचित हैं। (विषयों)
(7) इस विषय पर एक भी अच्छी पुस्तकें नहीं है। (पुस्तक)
(iii) कारक-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) हमने यह काम करना है। (हमें)
(2) मैंने राम को पूछा। (से)
(3) सब से नमस्ते। (को)
(4) जनता के अन्दर असंतोष फैल गया। (में)
(5) नौकर का कमीज। (की)
(6) मैंने नहीं जाना। (मुझे)
(7) मेरे नये पते से चिट्ठियाँ भेजना। (पर)
(II) सर्वनाम-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) मेरे से मत पूछो। (मुझ से)
(2) मेरे को यह बात पसंद नहीं। (मुझे)
(3) तेरे को अब जाना चाहिए। (तुझे)
(4) मैंने नहीं जाना। (मुझे)
(5) आप आपका काम करो। (अपना)
(6) जो सोवेगा वह खोवेगा। (सो)
(7) आप जाकर ले लो। (तुम)
(8) वह सब भले लोग हैं। (वे)
(9) आँख में कौन पड़ गया ?(क्या)
(10) मैं उन्होंके पिताजी से जाकर मिला। (उनके)
(III) विशेषण-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) उसे भारी प्यास लगी है। (बहुत)
(2) जीवन और साहित्य का घोर संबंध है। (घनिष्ठ)
(3) मुझे बड़ी भूख लगी है। (बहुत)
(4) यह एक गहरी समस्या है। (गंभीर)
(5) वहाँ भारी भरकम भीड़ जमा थी। (बहुत या बहुत भारी)
(6) इसका कोई अर्थ नहीं है। (कुछ भी)
(7) इस वीरान जीवन में। (नीरस)
(8) उसकी बहुत हानि हुई। (बड़ी)
(9) राजेश अग्रिम बुधवार को आएगा। (आगामी)
(10) दूध का अभाव चिन्तनीय है। (चिन्ताजनक)
(IV) क्रिया-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) वह कुरता डालकर गया है। (पहनकर)
(2) पगड़ी ओढ़कर आओ। (बाँधकर)
(3) वह लड़का मोटर हाँक सकता है। (चला)
(4) छोटी उम्र शिक्षा लेने के लिए है। (पाने)
(5) वे दस-बारह पशु उठा ले गए। (हाँक)
(6) राधा ने माला गूँध ली। (गूँथ)
(7) अपना हस्ताक्षर लगा दो। (कर)
(8) उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया। (किया)
(9) हमें यह सावधानी लेनी होगी। (बरतनी)
(10) वहाँ घना अँधेरा घिरा था। (छाया)
(V) अव्यय-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) यद्यपि वह बीमार था परन्तु वह स्कूल गया। (तथापि)
(2) पुस्तक विद्वतापूर्ण लिखी गयी है। (विद्वतापूर्वक)
(3) आसानीपूर्वक यह काम कर लिया। (आसानी से)
(4) शनैः उसको सफलता मिलने लगी। (शनैः शनैः)
(5) एकमात्र दो उपाय है। (केवल)
(6) यह पत्र आपके अनुसार है। (अनुरूप)
(7) यह बात कदापि भी सत्य नहीं हो सकती। (कदापि)
(8) वह अत्यन्त ही सुन्दर है। (अत्यन्त)
(9) सारे देश भर में अकाल है। (सारे देश में)
(10) मैं पहुँचा ही था जब कि वह आ गया। (कि)
(IX) शब्द-ज्ञान-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) बाण बड़ा उपयोगी शस्त्र है। (अस्त्र)
(2) लाठी बड़ा उपयोगी अस्त्र है। (शस्त्र)
(3) चिड़ियाँ गा रही है। (चहक)
(4) वह नित्य गाने की कसरत करता है। (का अभ्यास/का रियाज)
(5) सोहन नित्य दण्ड मारता है। (पेलता)
(6) इस समय सीता की आयु सोलह वर्ष है। (उम्र/अवस्था)
(7) धनीराम की सौभाग्यवती पुत्री का विवाह कल होगा। (सौभाग्यकांक्षिणी)
(8) कर्मवान व्यक्ति को सफलता अवश्य मिलती है। (कर्मवीर)
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