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Jambho ji History in Hindi | जाम्भोजी का इतिहास

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Jambho ji History in Hindi | जाम्भोजी का इतिहास

◆ जन्म – पीपासर (नागौर) में 1451 ई. में
◆ माता पिता – पँवार वंशीय राजपूत लोहटजी व हंसादेवी
◆ 1482 ई. में समराथल धोरे पर अपने अनुयायियों को 29 उपदेश दिए। इसलिए इनके अनुयायी विश्नोई कहलाये।
◆ इन्होंने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की।
◆ मुख्य पीठ – मुकाम, बीकानेर
◆ अन्य पीठ – समराथल (बीकानेर), जाबूल (बीकानेर), जम्भा फलोदी (जोधपुर), रामडावास पीपाड़ (जोधपुर)
◆ प्रमुख रचनाएं – जम्भ संहिता, जम्भ सागर, विश्नोई धर्मप्रकाश, जम्भ सागर शब्दावली
◆ जाम्भोजी को विष्णु का अवतार माना जाता है।
◆ जाम्भोजी के बचपन का नाम धनराज था।
◆ मुकाम (बीकानेर) में जाम्भोजी का मंदिर बना हुआ है जहां प्रतिवर्ष आश्विन व फाल्गुन अमावस्या को मेला भरता है।
◆ जाम्भोजी सिकन्दर लोदी के समकालीन थे, इनके कहने पर सिकन्दर लोदी ने गौ हत्या बंद कर दी थी।
◆ बीकानेर में अकाल पड़ने पर जाम्भोजी के कहने पर सिकन्दर लोदी ने पशुओं के लिए चारा भेजा था।
◆ जाम्भोजी के 29 उपदेश और 120 शब्दों का संग्रह जम्भ सागर में संग्रहीत है।
◆ जाम्भोजी को पर्यावरण विज्ञानी माना जाता है।
◆ जाम्भोजी का समाधि स्थल – मुकाम, तालवा (बीकानेर)
◆ मुख्य कार्यस्थल – समराथल, बीकानेर

जाम्भोजी के आठ स्थान / धाम

  1. पीपासर (नागौर) – जन्म स्थान
  2. मुकाम (बीकानेर) – समाधि स्थल (इसे मुक्ति धाम कहा जाता है)
  3. लालसर (बीकानेर) – निर्वाण स्थल
  4. जाम्भा (जोधपुर) – पवित्र तीर्थ स्थल
  5. जागलु (बीकानेर) – प्रसिद्ध मंदिर व यहाँ विशाल मेला लगता है।
  6. रामडावास (पीपाड़, जोधपुर) व लोहावट – उपदेश स्थल
  7. लोदीपुर (उत्तरप्रदेश)
  8. रोटू (नागौर)

◆ जम्भगीता को विश्नोई संप्रदाय के अनुयायी पाँचवा वेद मानते है।
◆ जाम्भोजी पर्यावरण आंदोलन के विश्व के पहले प्रणेता माने जाते है।
◆ जाम्भोजी को पर्यावरण वैज्ञानिक भी कहा जाता है।

जाम्भोजी के 29 सिद्धान्त

  1. प्रातः काल जल्दी उठना व स्नान करना।
  2. प्रतिदिन प्रातः हवन करना।
  3. प्रातः व सायं दोनों समय ईश्वर का ध्यान करना।
  4. जीवन में शील और शालीनता का पालन करना।
  5. क्षमाभाव व सहनशीलता रखना ।
  6. दीन-दुखियों के प्रति दया भाव रखना।
  7. चोरी नहीं करना।
  8. संतोष धारण करना।
  9. सत्य और मीठी वाणी बोलना।
  10. किसी की निंदा नहीं करना।
  11. ईंधन को बीनकर तथा दूध को छानकर काम में लेना।
  12. पानी को छानकर पीना।
  13. किसी से व्यर्थ वाद-विवाद नहीं करना।
  14. अमावस्या के दिन व्रत रखना।
  15. प्रसूति काल में महिला को घर के कार्य से तीस दिन तक दूर रखना।
  16. साँयकाल विष्णु का भजन करना।
  17. रजस्वला अवस्था में महिला पाँच दिन तक घर के काम से दूर रहे।
  18. हरे वृक्ष नहीं काटना।
  19. गाय, भेड़, बकरी आदि पशुओं को नहीं मारना।
  20. बैल, घोड़ा, ऊंट आदि पशुओं को बधिया न करना।
  21. अपने हाथ से बना भोजन ही करना।
  22. पाँच विकारों काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह पर विजय प्राप्त करना।
  23. अफीम नहीं रखना।
  24. भांग का सेवन नहीं करना।
  25. दान सुपात्र व्यक्ति को ही देना।
  26. तम्बाकू से परहेज करना।
  27. शराब सेवन से बचना।
  28. मांस नहीं खाना।
  29. नीले वस्त्र नहीं पहनना।

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संत दादूदयाल जी