Merudandasana Steps and Benefits मेरुदंडासन की विधि एवं इसके फायदे
Merudandasana Steps and Benefits, Benefits of Merudandasana, How to do Merudandasan in hindi, मेरुदंडासन की विधि, मेरुदंडासन के फायदे नमस्कार दोस्तों आप सभी का Mission Govt Exam पर हार्दिक स्वागत है इस पोस्ट में मेरुदंडासन Merudandasan क्या है, मेरुदंडासन करने की विधि एवं मेरुदंडासन के फायदे से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो हमारे शरीर की रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने में बहुत ही उपयोगी है |

मेरुदंडासन (Merudandasan) के अभ्यास से रीढ़ बनेगी मजबूत – अक्सर हम अपने घर में सोफे में अथवा अपने ऑफिस में काम करते वक्त कुर्सी में सही ढंग से या सीधा नहीं बैठते हैं। टेढ़े अथवा सही पोश्चर में नहीं बैठने से समय के साथ हमारे रीढ़ की हड्डी में अनेक प्रकार की समस्याएं होने लगती है। कार्यालय में हमें काफी देर तक बैठ कर काम करना होता है अतः हम पूरा समय सीधे बैठ नहीं पाते है और उम्र के साथ कमर दर्द (back pain) की शिकायत शुरू हो जाती है।
इस प्रकार से होने वाले रीढ़ की समस्या से बचने के लिए नियमित मेरुदंडासन का अभ्यास करना चाहिए। इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और प्राण ऊर्जा में वृद्धि होती है। संस्कृत शब्द मेरु का शाब्दिक अर्थ पर्वत होता है और दंड का अर्थ है लाठी। लेकिन यहां मेरुदंड का अर्थ रीढ़ की हड्डी से है।
मेरुदंडासन करने की विधि
मेरुदंडासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। दोनों पैरों के तलवों के बीच लगभग दो से तीन फीट की दूरी रखते हुए उन्हें नितंबों के सामने जमीन पर रखें। अब दोनों पैरों के अंगूठों को हाथों से अलग-अलग पकड़ लें। शरीर को शांत बनाएं तथा श्वास लेते हुए धीरे से पीछे की ओर झुकते हुए दोनों पैरों को सीधा कर दें तथा दोनों पैरों को धीरे-धीरे क्षमता के अनुसार अलग-अलग करते जाएं। इस दौरान मेरुदंड सीधी रहेगी। आंखों को सामने किसी भी एक बिंदु पर एकाग्र रखें और अंतिम अवस्था में क्षमता के अनुसार रुकने का प्रयास करें। इसके बाद वापस धीरे-धीरे अभ्यास प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं। अब थोड़ा रुक कर जब श्वास सामान्य हो जाए तो पुनः इसी अभ्यास को कर सकते हैं।
How to do Merudandasan in hindi
◆ मेरुदंडासन के दौरान श्वसन: इस अभ्यास के दौरान आप जमीन पर सीधे बैठें। उस समय श्वास अंदर लें और जब पैर फैलाते हैं उस समय और अभ्यास की अंतिम स्थिति में श्वास अंदर ही रोकने का प्रयास करें, किंतु अभ्यास की अंतिम अवस्था में जब आप लंबी समय तक रुकते हैं, तो उस समय आप सामान्य श्वास ले सकते हैं। जब आप अपने पैरों को वापस धीरे-धीरे जमीन की तरफ लाना शुरू करते हैं उस समय श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ना शुरू करें।
★ मेरुदंडासन की अवधि : यह एक संतुलन का अभ्यास है। अतः शुरू में आप इस अभ्यास को पांच बार तक कर सकते हैं तथा अंतिम अवस्था में जितनी देर तक संभव हो अपनी क्षमता के अनुसार रुकने का प्रयास करें। बाद में आप इसके अभ्यास को अपनी क्षमता के अनुसार बढ़ा सकते हैं।
◆ मेरुदंडासन करते समय सजगता : इस अभ्यास के दौरान शरीर के संतुलन एवं श्वास के प्रति हमेशा सजग रहें। यदि आप चाहें, तो अपने सामने दीवार पर किसी बिंदु पर अपनी एकाग्रता को केन्द्रित करें। आध्यात्मिक स्तर पर आपकी सजगता स्वाधिष्ठान चक्र पर रहेगी।
★ मेरुदंडासन की सीमाएं : इस अभ्यास को उन लोगों को नहीं करना चाहिए, जिन्हें हृदय रोग, स्लिप डिस्क, सायटिका, आंखों की गंभीर समस्या हो।
मेरुदंडासन के फायदे Benefits of Merudandasana
यह अभ्यास मेरुदंड को मजबूत बनाता है और उसमें प्राण शक्ति का संचार करता है। इस अभ्यास से सामान्यतः मेरुदंड की खिसकी हुई हड्डियां सुव्यवस्थित होती है। इस आसन से अनुकंपी (sympathetic) और परानुकंपी (parasympathetic) स्नायु मंडलों (nervous system) हित सम्पूर्ण स्नायु-मंडल के कार्यों में सुधार लाता है तथा इससे नवीन शक्ति प्राप्त होती है। यह आसन हमारे पेट में अंगों, विशेषतः यकृत (liver) को पुष्ट करता है और पेट की पेशियों (abdominal muscles) को मजबूत बनाता है तथा आंतों के किटाणुओं को नष्ट करता है और कब्ज को दूर करता है। अतः इस अभ्यास से पाचन संबंधी सभी अंग स्वस्थ होते हैं तथा एकाग्रता में काफी सुधार होता है।
नोट : यह संतुलन का अभ्यास है, जो शारीरिक और मानसिक संतुलन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है, किंतु इस अभ्यास को बिना किसी कुशल योग्य प्रशिक्षक के नहीं करना चाहिए। अन्यथा इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। Merudandasana Steps and Benefits, Benefits of Merudandasana, How to do Merudandasan in hindi, मेरुदंडासन की विधि, मेरुदंडासन के फायदे