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मुगल राजपूत संबंध Mugal Rajput Sambandh
मुगल वंश के संस्थापक – जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर (1526 – 1530 ई.)
● जन्म – फरवरी 1483 (फरगना)
● पिता – उमर शेख मिर्जा
◆ प्रमुख युद्धः-
1. पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल, 1526) मैं इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल सम्राज्य की नींव डाली । बाबर ने इस युद्ध में उजबेगों से सिखी तुलगमा युद्ध पद्धति को पहली बार अपनाया और विजय हुआ ।
2.खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527 ) : – यह राणा सांगा तथा बाबर के मध्य हुआ।
राणा सांगा – प्रमुख सहयोगी मित्र
1.राव मालदेव
2.राव पृथ्वीसिंह
3.अशोक परमार
4.झाला अज्जा
5.हसन खां मेवाती
बाबर –
1.जैहाद का नारा इस युद्ध में दिया ।
2.बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा पद्धति को अपनाया ।
नोट :-
1 . खानवा के युद्ध को धर्म युद्ध कहा जाता हैं ।
2 . बाबर ने इस युद्ध में गाजी ए बादशाह की उपाधि धारण की है ।
3 . बाबर ने इस युद्ध को अपनी आत्मकथा “तुजुके ए बाबरी” भाषा तुर्की में इस युद्ध को ‘अनिर्णायक युद्ध’ की संज्ञा दी हैं ।
4 . इस युद्ध की प्रत्यक्षदर्शी ‘रानी कर्मावती’ थी, जिसे मुगल शासक बाबर ने अपनी राजपूत बेटी बनाया ।
राणा सांगा ( 1509 – 1528 )
राज्याभिषेक – 1509 ई . चित्तौड़गढ़
राणा सांगा का अन्तिम तथ्य :-
वीरगति – 1528 ई .
स्मारक – बसवा दौसा में पृथ्वीसिंह कच्छवाहा द्वारा
छतरी – मांडलगढ़ ( भीलवाड़ा ) अशोक परमार द्वारा निर्मित। प्रमुख युद्ध :-
1. 1517 – 18 खातोली का युद्ध ( बून्दी )
संघर्ष – राणा सांगा – इब्राहीम लोदी
विजय – राणा सांगा
क्षति – राणा भोजराज ( मीरा के पति ) इस युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुए ।
● राव रतनसिंह राठौड़ ( मीरा के पिता ) वीर गति को प्राप्त । समझौता – बून्दी, अलवर, भरतपुर की 60, 60 जागीर सांगा को प्राप्त हुई ।
नोट : – 1. इस युद्ध में सीमाएँ भारत के राजधानी क्षेत्र से जोड़ दी गई वह जिला प्राय : अलवर है ।
2. कर्नल टॉड ने राणा सांगा को राजपूताना का भग्नावेश कहा है ।
2. बयाना युद्ध – फरवरी 1527
संघर्ष – राणा सांगा – बाबर (महदीराव ख्वाजा [बाबर का सहयोगी])
विजय – राणा साांगा
नोट : – इस युद्ध में तुलगमा युद्ध पद्धति का प्रयोग नहीं ।
3. चन्देरी का युद्ध (जनवरी 1528)
मेदनीराय तथा बाबर के मध्य हुआ जिसमें बाबर विजय रहा।
4. घाघरा का युद्ध (मई , 1529)
बाबर का अन्तिम युद्ध जो अफगानों एवं बाबर के मध्य हुआ, जिसमें बाबर विजय रहा ।
नोट : – 1. दिसम्बर 1530 ई . को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गयी ।
2. बाबर के शव को आगरा के अरामबाग में दफनाया गया। बाद में बाबर के इच्छित स्थान काबूल में दफनाया गया।
3. बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में विक्रमादित्य द्वारा निर्मित मंदिर के स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया ।
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हुमायूँ (1530 – 1556 ई.)
● बाबर का ज्येष्ठ पुत्र हुमायूँ का दिसम्बर 1530 ई. आगरा में राज्याभिषेक किया गया ।
● नसीरुद्दीन हुमायूँ का जीवन उतार चढ़ाव से गुजरा ।
प्रमुख युद्ध:-
1 . चौसा का युद्ध 1539 ई.
● यह युद्ध शेर खाँ एवं हुमायूँ के मध्य लड़ा गया ।
● इस युद्ध में शेर खाँ विजय रहा ।
◆ इस युद्ध में विजय के उपरांत शेर खाँ ने शेरशाह की उपाधि धारण की ।
● इसमें एक निजाम भिश्ती ने हुमायूँ को गंगा में डूबने से बचाया।
● इसी भिश्ती को हुमायूँ ने एक दिन के लिए भिश्ती को बादशाह घोषित किया ।
◆ भिश्ती ने 8 घंटे के शासन में चमड़े के सिक्के चलाये ।
● भिश्ती को बादशाह का पद पाकर अत्यधिक खुशी हुई वह इस अत्यधिक खुशी को नहीं समा सका ।
● हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है । (Mugal Rajput Sambandh pdf, मुगल राजपूत सम्बन्ध)
2 . बिलग्राम या कन्नौज युद्ध (मई 1540 ई.)
● यह युद्ध शेर खाँ तथा हुमायूँ के मध्य हुआ जिसमें शेर खाँ विजयी रहा ।
● बिलग्राम युद्ध के उपरान्त हुमायूँ को विदेश प्रवास करना पड़ा तथा सिन्ध में चला गया ।
◆ निर्वासन काल में हुमायूँ ने हिन्दाल के आध्यात्मिक गुरु मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानु बेगम से 1541 ई . में निकाह किया ।
● हुमायूं ने सरहिन्द व मच्छीवाड़ा के युद्धों में पुनः दिल्ली पर कब्जा किया ।
● हुमायूँ की दीनपनाह पुस्तकालय से फीसलने से 1556 ई . में मृत्यु हो गई ।
◆ इतिहासकार लेन पूल ने कहा है कि “हुमायूँ का जीवन लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते हुए ही मृत्यु है”
अकबर (1556 – 1605)
● अकबर का जन्म – 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट (पाकिस्तान) में हुआ ।
● राज्याभिषेक – 14 फरवरी 1556 ई. को कलानौर में अकबर के प्रधानमंत्री बैराम खाँ के संरक्षण में हुआ ।
◆ प्रमुख युद्ध – पानीपत का द्वितीय युद्ध 1556 ई. में अकबर तथा हेमू के मध्य लड़ा गया ।
● मक्का यात्रा के दौरान बैराम खाँ की मुबारक खाँ नामक युवक द्वारा हत्या कर दी गई ।
● अकबर ने दीन – ए – इलाही धर्म की स्थापना की थी ।
◆ दीन ए इलाही धर्म को स्वीकार करने वाला । “बीरबल’ प्रथम व्यक्ति था ।
● मुगल शासन की प्रमुख प्रशासनिक प्रणाली “मनसबदारी प्रथा” अकबर ने शुरुआत की थी ।
● सूफी सन्त शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन अकबर ने शेख सलीम चिश्ती की स्मृति में फतेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की है ।
◆ अकबर दरबार में आश्रय प्राप्त बदबूंनी ने महाभारत का फारसी भाषा में बनामा नाम से अनुवाद किया ।
● अबुल फजल ने पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद ‘अनवर ए सादात’ नाम से किया ।
● अकबर के काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
◆ नव वर्ष (नौरोज) त्योहार को अकबर ने प्रारम्भ किया ।
हरि विजय सुरी – अकबर के प्रसिद्ध जैन आचार्य हरिविजय को ”जगत् गुरु” की उपाधि से सम्मानित किया गया ।
● अकबर ने जिन चन्द्र सुरी को युग प्रधान की उपाधि प्रदान की ।
● अकबर ने 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में निर्मित प्रार्थना गृह इबादतखाना को सभी धर्मों के लिए खोल दिया
◆ आमेर के कछवाहा वंश के राजा भारमल की पुत्री जोधा से अकबर का विवाह हुआ था ।
● अकबर का मकबरा – सिकन्दरा (आगरा) में (जहाँगीर द्वारा निर्मित)
अकबर के नव रत्न
1. अबुल फजल – अकबरनामा
नोट : – अबुल फजल द्वारा निर्मित यह ग्रंथ अकबर के शासन काल का सर्वश्रेष्ठ प्रमाणित इतिहास माना गया है । इस ग्रंथ का तीसरा खण्ड आइने अकबरी कहलाता है
2. अब्दुर्र रहीम खानखाना – प्रसिद्ध विद्वान
3. फैजी – राजकवि
4. तानसेन – प्रसिद्ध संगीतकार रचना 1. मियाँ कामल्धर 2. मियाँ की टोड़ी ।
5. बीरबल – 1. वाक् पटुता के कारण अकबर का प्रिय था । 2. इनका बचपन का नाम महेशदास था ।
6. टोडरमल – 1. अकबर के ईवान टोडरमल मे दहसाल बन्दोबस्त लागू किया ।
2. 1534 में राजा टोडरमल का अकबर दरबार में प्रवेश ।
7. मुल्ला दो प्याजा – प्याज खाने की कला के लिए प्रसिद्ध।
8. मानसिंह – आमेर के शासक
9. मानसिंह – आमेर के राजा भारमल का पुत्र जिसे अकबर ने “अमीर ऊल ऊमरा” की उपाधि दी थी ।
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मानसिंह
👉🏻 जन्म – 1550
👉🏻 पिता – भगवानदास
◆ सलाहकार सेवा – 1562 से अकबर को
👉🏻 मनसहबदारी पद – 1567 में अकबर ने प्रारम्भ किया तथा मानसिंह को 7000 की मनसहबदारी दी गई ।
● सम्राट अकबर ने मानसिंह की सलाह पर निम्न कार्य किये
● 1562 ई . दास प्रथा का उन्मूलन
◆ 1563 ई . तीर्थ यात्रा कर समाप्त
● 1564 जजिया कर समाप्त
● 1569 में राजा मानसिंह के प्रयासों से रणथम्भौर के शासक राव सुर्जनसिंह हाड़ा ने अकबर की अधीनता स्वीकार की थी । – 1576 ई. में हल्दीघाटी युद्ध के दौरान अकबर ने मानसिंह की ‘दीवाने ए खास’ की उपाधि दी ।
◆ राज्याभिषेक – मानसिंह ( 1589 ) – बिहार ( पटना )
● उपाधि “राजा फर्जन्द” अकबर द्वारा प्रदान ।
● यह प्रमण 1613 ई. के जमवारामगढ़ अभिलेख प्रशस्ति पर मिलता है ।
◆ मानसिंह की मृत्यु ‘इलीचपुर’ में हुई । (Mugal Rajput Sambandh pdf, मुगल राजपूत सम्बन्ध)
अकबर द्वारा राजपूतों से प्रमुख युद्ध
1. चित्तौड़ का तीसरा साका – 1567 – 68
👉🏻 अकबर तथा उदयसिंह के मध्य लड़ा गया ।
अकबर उदयसिंह
प्रमुख सहयोगी प्रमुख सहयोगी
( i ) भगवान दास ( i ) जयमल
( ii ) राव कल्याणसिंह ( ii ) फत्ता ( बीकानेर )
( iii ) वीर कल्ला राठौड़
👉🏻 इस युद्ध में जयमल , फत्ता वीर गति को प्राप्त हुए , जिनकी वीरता को देखकर अकबर ने उनकी पाषाण युक्त मूर्तियाँ आगरा के किले के सामने लगवायी ।
◆ जयमल राठौड़ को वीर कल्ला ने अपने सिर पर बैठाकर युद्ध किया , जिस दृश्य को देखकर अकबर ने वीर कल्ला राठौड़ को चार हाथों का देवता कहा हैं ।
👉🏻 फत्ता की रानी फुलकंवर तथा वीर कल्ला राठौड़ की रानी कृष्णा बाई ने जौहर किया ।
👉🏻 जयमल / फत्तावीर कल्ला राठौड़ की छतरी चित्तौड़ दुर्ग में स्थित है ।
2. हल्दी घाटी युद्ध (18 जून , 1576)
मानसिंह
👉🏻 प्रताप – हकीम खाँ सूर, राव चन्द्रसेन, झाला बीदा, मानसिंह सोनगरा, शक्ति सिंह ।
● हकीम खाँ सूर प्रताप का सेनापति था ।
◆ महाराणा प्रताप युद्ध भूमि में जब चारों ओर से घिर गये तब स्वामिभक्त झाला बीदा ने अपने सिर पर राजकीय चिह्न धारण करके युद्ध किया ।
● इस युद्ध के पहले अकबर ने वार्तालाप के लिए चार दूत भेजे थे । सूत्र “जमा भटो”
◆ प्रथम – जलाल खाँ
● द्वितीय – मानसिंह (आमेर)
◆ तृतीय – राजा भगवानदास (आमेर)
● चतुर्थ – राजा टोडरमल
◆ युद्ध को संज्ञा –
👉🏻 खमनोर का युद्ध – अबुल फजल
👉🏻 गोगुंदा का युद्ध – बदायूँनी
★ रक्त नाल मेराथन – कर्नल टॉड
◆ मेवाड़ की थर्मोपल्ली – कर्नल टॉड
★ युद्ध के प्रमाण –
👉🏻 दलपत विजय – खुमाण रासो
👉🏻 गिरधर आसिया – संगत रासो
◆ राज प्रशस्ति शिलालेख
नोटः – 1. हल्दीघाटी के युद्ध को अकबर नामा में प्राय : निर्णायक युद्ध की संज्ञा नहीं दी गई है ।
2. सम्राट अकबर ने राजा मानसिंह की 7000 मनसबदारी को घटाकर 5000 हजारी की गई ।
3. कुंभलगढ़ का युद्ध 1578 में राणा प्रताप – शाहबाज खाँ के मध्य हुआ – विजय – शाहबाज खाँ ।
4. दिवेर का युद्ध 1582 – राणा प्रताप तथा सुल्तान खाँ के मध्य हुआ ।
👉🏻 महाराणा प्रताप विजयी हुआ ।
👉🏻 कर्नल टॉड ने इसे ‘मेवाड़ का मेराथन’ कहा है ।
◆ उपर्युक्त तीनों युद्धों के समय प्रताप की राजधानी गोगुन्दा थी।
👉🏻 जबकि 1586 में नयी राजधानी चावंड (उदयपुर) को बनाया गया ।
👉🏻 हल्दीघाटी (राजसमंद) में कर्नल टॉड को घोड़े वाले बाबा की संज्ञा दी गई।
राणा प्रताप
● जन्म – 9 मई , 1540 ई. पाली में अखैराज सोनगरा के यहाँ। पालन – पोषण – कुंभलगढ़ / राजसमंद
● पिता – राणा उदयसिंह
◆ माता – रानी जयवंताबाई
● राज्याभिषेक – 28 फरवरी को गोगुंदा की पहाड़ियों में
● पंच तत्व में मिलन – 19 जनवरी 1597
◆ छतरी – शिवमंदिर बाडोली (उदयपुर) छतरी 8 खंभों से युक्त
● छतरी के निर्माता – बरकत्यावर सिंह सोनगरा
जहाँगीर (1605 – 1627)
● नूरूद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि से गद्दी पर बैठा ।
● जहाँगीर के काल में मुगल मेवाड़ संधि 1615 ई . में सम्पन्न हुई ।
◆ मोटाराजा उदयसिंह की पुत्री जगतगुसाई / जोधाबाई का विवाह जहाँगीर से हुआ ।
● जहाँगीर ने नूरजहाँ केनाम से प्रसिद्ध मेहरुनिसा नामक विधवा औरत से विवाह कर उसे नूरमहल की उपाधि प्रदान की थी ।
● जहाँगीर न्याय प्रियता के लिए प्रसिद्ध है । इन्होंने आगरे के किले में सोने की जंजीर लगवाई थी ।
◆ जहाँगीर ने सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुनदेव की हत्या खुसरों की सहायता देने के कारण कर दी थी ।
● जहाँगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता हैं ।
● जहाँगीर का मकबरा – शहादरा ( लाहौर ) में नूरजहाँ द्वारा निर्मित ।
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