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राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन, Prajamandal Movement in Rajasthan

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Prajamandal Movement in Rajasthan

Prajamandal Movement in Rajasthan, राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन

प्रजामंडलों की स्थापना का उद्येश्य स्वशासन की मांग मजबूत करते हुए उत्तरदायी सरकारों की स्थापना करना था, 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस द्वारा पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रजामंडलों की स्थापना पर बल दिया गया था |

जयपुर प्रजामंडल

• स्थापना – 1931
• संस्थापक – कपुरचंद पाटनी, चिरंजिलाल मिश्र
• पुर्नगठन – जमनालाल बजाज – 1936-37
• अधिवेशन – 1938 – जयपुर
• अध्यक्ष – जमनालाल बजाज
• अतिथि – कस्तूरबा गांधी
• संदेश – स्वदेशी एवं खादी का प्रयोग
• जननेता – हिरालाल शास्त्री
• जयपुर प्रजामंडल के द्वारा जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय के विरुद्ध उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिए संघर्ष प्रारम्भ होता है| इस संघर्ष में 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के समय मानसिंह द्वितीय का प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल हिरालाल शास्त्री के साथ एक समझौता करते हुए उत्तरदायी सरकार की स्थापना करवाता है इस समझौते को ‘जेन्टलमैन – एग्रीमेंट’ कहा जाता है | जिसमें तय किया गया की जयपुर प्रजामंडल के नेता भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं लेंगे, परंतु हिरालाल शास्त्री के इस समझौते के विरोध में बाबा हरिशचन्द्र के नेतृत्व में आजाद मोर्चे का गठन किया जाता है |
• आजाद मोर्चे ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया था |
• ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ – हिरालाल शास्त्री की आत्मकथा
‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः – गीत

बीकानेर प्रजामंडल

• स्थापना – 4 अक्टूबर 1936 कलकत्ता
• संस्थापक – मधाराम वैद्य
• सहयोगी – चंदनमल बहड़
• जननेता – हनुमान सिंह आर्य
• प्रजामंडल की स्थापना के समय मधाराम वैद्य के द्वारा ‘थोथी पोथी’ नामक पम्पलेट जारी किया गया था, जिसका शीर्षक ‘गंगासिंह का मुखौटा’ था |
• इस पम्पलेट के कारण गंगासिंह ने मघाराम को 1936-42 तक कारावास में डाल दिया था, इसी समय चंदनमल बहड़ मे ‘बीकानेर एक दिग्दर्शक’ नामक एक पुरस्तक लिखी थी, जिसमें गंगासिंह की राज्य विरोधी नीतियों का उल्लेख किया गया था| इसलिए गंगासिंह ने चंदनमल बहड़ को राज्य से निष्कासित कर दिया, इसलिए कहा जाता है कि – “गंगासिंह ने बीकानेर प्रजामंडल की भ्रूण हत्या करवा दी थी”
• बीकानेर से निष्कासित नेताओं ने कलकत्ता में मार्च 1937 में बीकानेर राज्य प्रजामंडल की स्थापना की थी|
• बीरबल दिवस :- रायसिंह नगर में किसानों की प्रदर्शन यात्रा पर हुए लाठी चार्ज में बीरबल नामक किसान शहीद होने के कारण 17 जुलाई 1946 को बीरबल दिवस मनाया गया, तथा 30 जून व 1 जुलाई को शहीद दिवस / मेला मनाया गया |

मेवाड़ प्रजामंडल

• स्थापना – 24 अप्रैल 1938
• संस्थापक – माणिक्यलाल वर्मा
• अध्यक्षता – बलवंतसिंह मेहता
• उपाध्यक्ष – भूरे लाल बयां
• अधिवेशन – नवम्बर 1941 नाथद्वारा (अध्यक्ष – जे.बी.कृपलानी, उपाध्यक्ष – विजयलक्ष्मी पंडित)
• प्रजामंडल की स्थापना की उस समय माणिक्यलाल वर्मा द्वारा ‘मेवाड़ का वर्तमान शासन’ नामक पुस्तक प्रकाशित करते हुए मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह की प्रजा विरोधी नीतियों का प्रदर्शन किया गया था, जिसके कारण मेवाड़ प्रजामंडल के सदस्यों को राज्य से निष्कासित कर दिया जाता है, माणिक्यलाल वर्मा अजमेर से प्रजामंडल का संचालन करते है|
• माणिक्यलाल वर्मा का सबसे प्रिय गीत ‘पंछिड़ा’ था, जिसका सार्वजनिक मंचन प्रजामंडल की स्थापना के समय, बिजौलिया किसान आन्दोलन की समाप्ति से समय तथा संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री बनते समय किया गया था|

मारवाड़ प्रजामंडल

• स्थापना – 1934
• संस्थापक – जयनारायण व्यास
• अध्यक्ष – भंवर लाल सर्राफ
• राजनैतिक संस्था – मारवाड़ हितकारिणी सभा 1925
• मारवाड़ प्रजामंडल के नेतृत्व में 1934 में श्रीमती कृष्णा के अपहरण के विरोध में ‘कृष्णा दिवस’ मनाया गया|
• इस समय जनजागृती को दबाने के लिए 8 वीं से स्नातक तक की शिक्षा में फीस वृद्धि की गई जिसके कारण 21 जून 1936 को मारवाड़ राज्य में शिक्षा दिवस मनाया गया |
• मारवाड़ हितकारिणी सभा के द्वारा ‘मारवाड़ की अवस्था’ तथा ‘पोपाबाई का राज” नामक पुस्तकें प्रकाशित की गई जिसके कारण महाराव उम्मेदसिंह ने प्रजामंडल को अवैध घोषित कर दिया था|
• 1942 में चंडावत हत्याकांड के विरोध में सत्याग्रह प्रारम्भ किया जाता है तो किसान नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है, जहां किसान नेता भूख हड़ताल पर चले जाते है |
• 19 जून 1942 को युवा नेता ‘बालमुकुंद बिस्सा’ भूख हड़ताल के कारण शहीद हो गया था|

डूंगरपुर प्रजामंडल

• स्थापना – 26 जनवरी 1944
• संस्थापक – भोगीलाल पाण्ड्या (वागड़ का गांधी)
• अध्यक्ष – भोगी लाल पाण्ड्या
• भोगीलाल पाण्ड्या ने इस क्षेत्र के आदिवासी समाज में शिक्षा के प्रति जनजागृती लाने के लिए ‘आदिवासी छात्रावास’ की स्थापना 1919 में की|
• 1935 में ठक्कर बप्पा की प्रेरणा से ‘हरिजन सेवा संघ’ की स्थापना की गई तथा इसी समय खाड़लाई आश्रम की स्थापना करता है|
• आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार करने के लिए डूंगरपुर सेवा संघ की स्थापना की थी|
• 20 जून 1947 को रास्तापाल की पाठशाला के अध्यापक सेंगाभाई के साथ जब क्रूर व्यवहार किया जाता है तो उसे बचाने का प्रयास नानाभाई खांट व कालीबाई द्वारा किया जाता है, जिनकी गोलियों से भूनकर हत्या कर दी जाती है|
• कालीबाई का स्मारक गैबसागर झील पर बना है|

सिरोही प्रजामंडल

• स्थापना – वृद्धि शंकर त्रिवेदी
• स्थान – बंबई
• अधिवेशन – 1939 – गोकुल भाई भट्ट
• सिरोही प्रजामंडल के नेतृत्व में भूदान-आन्दोलन, गौ रक्षीणी कार्यक्रम तथा मद्य निषेध चेतना जैसे कार्यक्रमों का संचालन किया गया था,
• प्रारम्भ में सिरोही प्रजामंडल के अधिवेशन प्रवासी राजस्थानी समूह द्वारा बंबई मे आयोजित करवाए जाते है|

जैसलमेर प्रजामंडल

• स्थापना – 1939 जोधपुर – जैसलमेर प्रजा परिषद
• संस्थापक – शिवशंकर गोपा
• स्थानांतरित – 1945 जैसलमेर, जैसलमेर राज्य प्रजामंडल
• संस्थापक – मिठालाल व्यास
• सहयोगी – सागरमल गोपा, रघुनाथ सिंह
• सागरमल गोपा के द्वारा रघुनाथ सिंह का मुकदमा, आजादी के दीवाने और जैसलमेर का गुंडाराज नामक पुस्तकें लिखी गई थी |
• जैसलमेर महारावल जवाहरसिंह के आदेश पर सागरमल गोपा को जेल में यातनाए देते हुए 04 अप्रैल 1946 को जेल में जिंदा जला दिया गया था|
• सागरमल गोपा हत्याकांड पर जांच हेतु ‘पाठक कमेटी’ का गठन किया गया|
• 16 नवम्बर 1930 को जैसलमेर में जवाहर दिवस मनाया गया था|
नोट :- एकमात्र प्रजामंडल जिसकी स्थापना राज्य से बाहर हुई थी – बीकानेर
• राज्य का एकमात्र प्रजामंडल जिसकी स्थापना राज्य से बाहर हुई तथा उसके अधिवेशन भी प्रतिवर्ष राज्य से बाहर आयोजित होते – सिरोही
• राज्य का एकमात्र प्रजामंडल जो स्वयं की रियासत में स्थापित नहीं हुआ था – जैसलमेर

कोटा प्रजामंडल

• स्थापना – 1934 – हाड़ोती प्रजामंडल
• संस्थापक – प. नयनूराम शर्मा (कोटा की राष्ट्रीयता का जनक)
• पुर्नगठन – 1938 कोटा प्रजामंडल
• सहयोगी – अभिन्न हरी, तनसुखदास मित्तल, शारदा भार्गव
• कोटा प्रजामंडल द्वारा सर्वाधिक बल हाड़ोती क्षेत्र में अक्षय तृतीया पर होने वाले बाल विवाह की रोकथाम के लिए किया गया था|
• बाल-विवाह की रोकथाम के लिए अजमेर के डॉ. हरविलास शारदा के प्रयासों से 1 अप्रैल 1930 को शारदा एक्ट लागू हुआ था|

किशनगढ़1939कांतिलाल चौथाणी
जैसलमेर1939/1945शिवशंकर गोपा / मिठालाल व्यास
कुशलगढ़1942भंवरलाल निगम, कन्हैयालाल सेठिया
डूंगरपुर1944भोगीलाल पाण्ड्या
बांसवाड़ा1945भूपेन्द्रनाथ, विनोद चंद्र 
प्रतापगढ़1945अमृतलाल पायक
झालावाड़1946मांगीलाल भव्य

Note:- शाहपुरा के महाराज सुदर्शन सिंह ने प्रजामंडल आन्दोलन के दौरान सर्वप्रथम उत्तरदायी शासन की स्थापना करवाई थी|
👉🏻 बीकानेर एकमात्र राजघराना था, जिसने प्रजामंडल को संरक्षण प्रदान किया था |
👉🏻 अलवर प्रजामंडल के द्वारा शैक्षणिक शुल्क माफी के लिए आन्दोलन चलाया था |
👉🏻 अलवर प्रजामंडल के द्वारा अस्पृश्यता निवारण आन्दोलन चलाया गया था, तथा आदिवासी संघ की स्थापना की गई थी |

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